Move to Jagran APP

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने अक्टूबर में अब तक भारतीय बाजारों में किया 1,086 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने अक्टूबर में अब तक की अवधि में शेयरों में 5245 करोड़ रुपये निवेश किए हैं। वहीं एफपीआई ने इस दौरान बांड बाजार से 4159 करोड़ रुपये निकाले हैं। इस तरह FPI ने अक्टूबर में अब तक 1086 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Sun, 11 Oct 2020 04:21 PM (IST)Updated: Mon, 12 Oct 2020 07:59 AM (IST)
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने अक्टूबर में अब तक भारतीय बाजारों में किया 1,086 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर PC: Pixabay

नई दिल्ली, पीटीआइ। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने अक्टूबर महीने में अब तक भारतीय बाजारों में 1,086 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है। जीएसटी संग्रह में सुधार, आर्थिक गतिविधियों में तेजी और सकारात्मक वैश्विक रुख जैसे प्रोत्साहित करने वाले कारकों के चलते एफपीआई का यह निवेश देखने को मिला है। 

loksabha election banner

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने अक्टूबर में अब तक की अवधि में शेयरों में 5,245 करोड़ रुपये निवेश किए हैं। वहीं, एफपीआई ने इस दौरान बांड बाजार से 4,159 करोड़ रुपये निकाले हैं। इस तरह विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने अक्टूबर में अब तक 1,086 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है।

यह भी पढ़ें (Stock Market Tips: इन शेयरों में निवेश कर आसानी से कमा सकते हैं बंपर रिटर्न, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट)

गौरतलब है कि सितंबर महीने में एफपीआई शुद्ध रूप से बिकवाल रहे थे। सितंबर महीने में एफपीआई ने 3,419 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की थी। ग्रो के सह-संस्थापक व मुख्य परिचालन अधिकारी (COO) हर्ष जैन ने बताया कि अक्टूबर महीने में अब तक घरेलू और वैश्विक कारकों ने नेट इनफ्लो के लिए योगदान दिया है। जैन ने कहा, 'उम्मीद की तुलना में बेहतर (कमाई) प्रदर्शन, जीएसटी संग्रह में सुधार और अर्थव्यवस्था के सामान्य होने के चलते भारत को एक आकर्षक निवेश स्थान बनने में मदद मिल रही है।'

वहीं, वैश्विक बाजार भी कोरोना वायरस महामारी से पहले के स्तरों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे भी निवेशकों की धारणा में सुधार हुआ है। मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, 'आने वाले समय में वैश्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा समायोजन जारी रखने से भारत सहित उभरते बाजारों में विदेशी निवेश का प्रवाह सुनिश्चित हो सकता है। वैश्विक मोर्चे पर, अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव, कोविड-19 के दूसरे दौर और अमेरिका व चीन के बीच तनाव एफपीआई प्रवाह को प्रभावित कर सकते हैं।'

यह भी पढ़ें (Gold Price: भारी बढ़त के बावजूद सोने-चांदी की कीमतें अपने पिछले उच्च स्तर से हैं काफी दूर, जानिए भाव)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.