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राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को लचीला बनाने पर किया जा रहा विचार, केंद्र व राज्यों को मिलेगी राहत

सिंह ने बताया कि लक्ष्य देते वक्त यह देखा जाएगा कि राज्य सुधारों की राह से विचलित ना हो और वे लक्षित रेंज के उपरी हिस्से के बजाय निचले हिस्से के लिए प्रयास करें। PC Pixabay

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Sun, 06 Sep 2020 10:30 AM (IST)Updated: Mon, 07 Sep 2020 07:58 AM (IST)
राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को लचीला बनाने पर किया जा रहा विचार, केंद्र व राज्यों को मिलेगी राहत
राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को लचीला बनाने पर किया जा रहा विचार, केंद्र व राज्यों को मिलेगी राहत

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। राजस्व संग्रह में भारी कमी की वजह से वित्तीय संकट से जूझ रहे केंद्र व राज्यों को राजकोषीय घाटे को लेकर राहत मिल सकती है। यह राहत राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने के बारे में होगी। आने वाले दिनों में राजकोषीय घाटे व सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में ऋण के अनुपात का लक्ष्य एक रेंज में दिया जा सकता है।

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अर्थात जैसे राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3 फीसद न होकर 3.5 से 5 फीसद के बीच तय किया जा सकता है। यह कुछ वैसा ही होगा जैसे आरबीआइ (RBI) देश के लिए महंगाई दर का लक्ष्य तय करता है। इस बात की जानकारी 15वें वित्त आयोग के चेयरमैन एन के सिंह ने दी। आयोग की रिपोर्ट अक्टूबर में आने की उम्मीद है जो वर्ष 2021-22 से लेकर वर्ष 2025-26 के लिए होगी।

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सिंह ने बताया कि लक्ष्य देते वक्त यह देखा जाएगा कि राज्य सुधारों की राह से विचलित ना हो और वे लक्षित रेंज के उपरी हिस्से के बजाय निचले हिस्से के लिए प्रयास करें। उन्होंने बताया कि राज्यों व केंद्र दोनों के लिए यह व्यवस्था लागू की जा सकती है।

यहां बताते चलें कि चालू वित्त वर्ष के लिए केंद्र सरकार ने 3.5 फीसद का राजकोषीय घाटे का लक्ष्य तय किया था, लेकिन पहले पांच महीनों में लक्ष्य का 108 फीसद हासिल किया जा चुका है। कई एजेंसियों की रिपोर्ट बता रही हैं कि वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटा जीडीपी के मुकाबले 6 फीसद या इससे भी ज्यादा हो सकता है।


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