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राजकोषीय घाटा कम करने के लिए प्रयास करेगी सरकार

चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में खर्च अधिक होने तथा राजस्व कम प्राप्त होने के चलते राजकोषीय घाटा काफी बढ़ गया है।

By NiteshEdited By: Published: Fri, 26 Oct 2018 10:12 AM (IST)Updated: Fri, 26 Oct 2018 10:12 AM (IST)
राजकोषीय घाटा कम करने के लिए प्रयास करेगी सरकार
राजकोषीय घाटा कम करने के लिए प्रयास करेगी सरकार

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में खर्च अधिक होने तथा राजस्व कम प्राप्त होने के चलते राजकोषीय घाटा काफी बढ़ गया है। सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान राजकोषीय घाटे का जो लक्ष्य रखा था उसके लगभग प्रतिशत का इस्तेमाल पहली छमाही में हो चुका है। सरकार अब दूसरी छमाही में जीएसटी संग्रह बढ़ाकर राजकोषीय घाटे को पाटने की कोशिश करेगी।

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कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स (सीजीए) ने गुरुवार को वित्त वर्ष 2018-19 के लिए सरकार के आय-व्यय का लेखा-जोखा पेश किया। इसके मुताबिक चालू वित्त वर्ष के आम बजट में सरकार ने कुल 24.42 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य रखा है। इसमें से पहली छमाही में 13.04 लाख करोड़ रुपये खर्च हो चुकी है। हालांकि इस दौरान सरकार के खजाने में राजस्व, खासकर टैक्स राजस्व के रूप में आने वाली राशि इतनी नहीं रही है।

सरकार ने चालू वित्त वर्ष में कर राजस्व के रूप में 14.80 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन शुरुआती छह महीने में मात्र 5.82 लाख करोड़ रुपये जुटाए जा सके हैं जो आम बजट के लक्ष्य का मात्र 39.4 प्रतिशत है। यही वजह है कि सरकार को खर्च चलाने के लिए पहली छमाही में ही राजकोषीय घाटे के बड़े हिस्से का इस्तेमाल करना पड़ा।

सरकार ने चालू वित्त वर्ष के आम बजट में राजकोषीय घाटा देश के जीडीपी का तीन प्रतिशत यानी 6.24 लाख करोड़ रुपये तक रखने का लक्ष्य रखा है लेकिन अप्रैल से सितंबर तक सिर्फ छह माह में इसमें से 5.94 लाख करोड़ ( प्रतिशत) का इस्तेमाल हो चुका है। सूत्रों का कहना है कि सरकार दूसरी छमाही यानी अक्टूबर से मार्च की अवधि में टैक्स राजस्व, खासकर जीएसटी संग्रह बढ़ाकर राजकोषीय घाटे को पाटने की कोशिश करेगी। वित्त मंत्रलय को मौजूदा त्योहारी सीजन के बाद नवंबर और दिसंबर में जीएसटी का मासिक संग्रह एक लाख करोड़ रुपये से अधिक होने की उम्मीद है। चालू वित्त वर्ष में अब तक जीएसटी का मासिक संग्रह हजार करोड़ रुपये के आस-पास रहा है। इसके अलावा इनकम टैक्स और कारपोरेट टैक्स सहित प्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़ाने पर भी जोर दिया जा रहा है। 


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