नीरव मोदी स्टोर्स से कैश में खरीदारी करते थे नेता और बॉलीवुड सितारे
जानकारी मिली है कि कई बड़े लोग नीरव के स्टोर्स पर आते थे और कैश में मनाचाही खरीदी करते थे
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। नीरव मोदी तो पंजाब नेशनल बैंक से 11,400 करोड़ रुपए का घोटाला कर परिवार समेत देश से फरार हो गया है, लेकिन अब लगता है कि कई बड़ी हस्तियां भी लपेटे में आने वाली हैं।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, देश के बड़े राजनेता और फिल्मी हस्तियां, नीरव के स्टोर्स से कैश में खरीदी करते थे। अब इनके नाम भी उजागर हो सकते हैं। खबर है कि आयकर विभाग के पास पूरी सूची है।
यह खुलासा पिछले साल नीरव के ठिकानों पर मारे गए छापे के दौरान हुआ था। पता चला था कि कई बड़े लोग नीरव के स्टोर्स पर आते थे और कैश में मनाचाही खरीदी करते थे। इनमें कुछ हॉलीवुड सितारे भी शामिल हैं। सूत्रों के हवाले से यहां तक बताया गया है कि इनमें एक सांसद भी शामिल हैं जो पेशे से वकील है।
नोटबंदी के बाद हुई थी यह छापामारी
मालूम हो, नोटबंदी के बाद कई सेक्टर्स में बड़े पैमाने पर कैश खरीदी हुई थी। आयकर विभाग ने छापे भी मारे थे। उसी क्रम में नीरव मोदी के स्टोर्स पर भी कार्रवाई हुई थी और यह लिस्ट मिली थी।
इस बीच, पंजाब नेशनल बैंक में 11,400 करोड़ के महाघोटाला में घिरी मोदी सरकार ने आरोपियों की घेराबंदी और तेज कर दी है। विदेश मंत्रालय ने मुख्य आरोपी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के पासपोर्ट सस्पेंड कर दिए। उनका पता लगाने व गिरफ्तार करने के लिए सीबीआई ने इंटरपोल से मदद मांगी है।
विदेश मंत्रालय ने मोदी व चौकसी के पासपोर्ट चार हफ्ते के लिए सस्पेंड किए हैं। उनसे एक हफ्ते में जवाब मांगा गया है, यदि उन्होंने जवाब नहीं दिया तो उक्त पासपोर्ट रद्द कर दिए जाएंगे। ईडी ने दोनों को एक हफ्ते में पेश होने का समन भी जारी कर दिए हैं।
आयकर ने जब्त की नीरव की 29 संपत्तियां, 105 खाते
आयकर विभाग ने भी शुक्रवार को नीरव मोदी पर शिकंजा कस दिया। उसकी 29 संपत्तियों और 105 बैंक खातों को अस्थाई तौर पर जब्त कर लिया। विभाग ने विदेश में संपत्ति रखने पर मोदी के खिलाफ कालेधन विरोधी नए कानून में केस दर्ज कर लिया है।
नए कानून में अघोषित संपत्ति पर 120 फीसदी टैक्स व पेनल्टी के साथ 10 साल तक की सजा का प्रावधान है। 150 शेल कंपनियों की पहचानसरकार ने नीरव मोदी, उसके संबंधियों और सहयोगियों से जुड़ी करीब 150 शेल (मुखौटा) कंपनियों की पहचान की है। कारपोरेट मामलों के मंत्रालय ने यह कार्रवाई की है।