GST Refund के नाम पर 1377 निर्यातकों ने लगाया 1875 करोड़ का चूना, खोजबीन करने पर पाए गए नदारद
कोरोना की वजह से इन दिनों सीबीआईसी अधिकारी निर्यातकों की मदद के लिए उनसे संपर्क कर रहे हैं ताकि उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हो।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जीएसटी रिफंड के नाम पर 1377 फर्जी निर्यातकों ने सरकार को 1875 करोड़ रुपए का चूना लगा दिया। मामले का खुलासा तब हुआ जब इन निर्यातकों के पते पर इनकी खोजबीन की गई। दिए गए पते पर कोई निर्यातक नहीं मिला। सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम (सीबीआईसी) सूत्रों के मुताबिक सरकार को चूना लगाने वालों में कुछ स्टार निर्यातक भी शामिल हैं। विभाग इस मामले की जांच में जुट गया है। विभाग की तरफ से 7516 निर्यातकों को रिस्की जोन में रखा गया है जिन पर सीबीआईसी की नजर हैं। विभाग ने 2800 से अधिक रिस्की निर्यातकों के 1363 करोड़ के आईजीएसटी रिफंड और ड्रा बैक को फिलहाल रोक दिया है।
कोरोना की वजह से इन दिनों सीबीआईसी अधिकारी निर्यातकों की मदद के लिए उनसे संपर्क कर रहे हैं ताकि उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हो। इस दौरान ही सरकार को चूना लगाने वाले 1300 से अधिक फर्जी निर्यातकों का पता चला। सूत्रों के मुताबिक इससे पहले भी निर्यात के नाम पर इस प्रकार के फर्जीवाड़े हो चुके हैं।
निर्यात के लिए बनने वाले उत्पाद से जुड़े कच्चे माल की खरीदारी पर निर्यातक जो जीएसटी देते हैं, वह जीएसटी उन्हें वापस मिल जाता है। सूत्रों के मुताबिक फर्जी कंपनी बनाकर निर्यात के नाम पर गलत बिलिंग करके सरकार से जीएसटी रिफंड का फर्जीवाड़ा चल रहा है। सूत्रों के मुताबिक एक निर्यातक दो कंपनी बनाता है। वह अपने निर्यात के बदले मिलने वाले जीएसटी रिफंड का दावा दोनों कंपनियों द्वारा कर देता है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट प्रमोशन आर्गेनाइजेशंस (फियो) के पूर्व अध्यक्ष एस.सी. रल्हन ने बताया कि इस प्रकार के फर्जीवाड़े को रोकने के लिए निर्यातकों का फिजिकल वेरीफिकेशन होना जरूरी है या फिर कोई ऐसी प्रणाली विकसित की जानी चाहिए जिससे यह पता लग जाए कि वह सचमुच का निर्यातक है या नहीं। इस प्रकार के फर्जीवाड़े से वास्तविक निर्यातक बदनाम होते हैं। अभी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराते ही किसी को भी जीएसटी नंबर मिल जाता है। उस पते की कोई खोजबीन नहीं की जाती है। निर्यात-आयात के लिए कोड भी ऑनलाइन मिल जाता है।
निर्यातकों के मुताबिक कई बार वास्तविक निर्यातक भी रिस्की जोन में आ जाते हैं। रिस्की जोन में आते ही निर्यातकों को मिलने वाले सारे रिफंड और सरकारी लाभ बंद हो जाते हैं। उन्हें कस्टम ऑफिस में फिजिकल रूप से जाकर लगातार छह महीने तक अपना वेरीफिकेशन कराना होता है, तब जाकर उन्हें रिस्की जोन से हटाया जाता है। निर्यातकों के बिलिंग, जीएसटी रिफंड, इनकम टैक्स रिटर्न जैसी चीजों के आधार पर सिस्टम अपने आप उन्हें रिस्की जोन में रखती है। हालांकि निर्यातक कई बार इस बात का दावा करते हैं कि उन्हें जानबूझ कर रिस्की जोन में रख दिया जाता है।