UPA ने दाम नहीं बढ़ाए, अब हम चुका रहे तेल कंपनियों का कर्ज : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
वित्त मंत्री ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइड ड्यूटी में कटौती से सोमवार को इनकार कर दिया। सीतारमण ने कहा कि सरकार पिछले पांच साल में इन ऑयल बॉन्ड्स पर ब्याज के मद में इन तेल कंपनियों को 60000 करोड़ रुपये से ज्यादा का ब्याज दे चुकी है।
नई दिल्ली, जेएनएन। केंद्र सरकार की तरफ से फिलहाल पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती के आसार नहीं दिख रहे हैं। इसकी मुख्य वजह है कि केंद्र सरकार हर साल आयल कंपनियों के भारी-भरकम कर्ज को उतारने में लगी है। यह कर्ज यूपीए सरकार के कार्यकाल में आयल बांड के रूप में लिया गया था। यूपीए के कार्यकाल में कच्चे तेल के दाम तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते रहे, लेकिन उस अनुपात में तेल की खुदरा कीमत नहीं बढ़ाई गई। इसका नतीजा यह हुआ कि सरकार पर आयल कंपनियों का कर्ज बढ़ता गया।
इस बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि वर्ष 2014-15 से सरकार आयल कंपनियां का कर्ज चुका रही है। उस समय से लेकर अब तक सिर्फ ब्याज के रूप में सरकार आयल कंपनियों को 70,195.72 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है। चालू वित्त वर्ष से लेकर वर्ष 2025-26 के दौरान आयल कंपनियों को अभी और 37,340 करोड़ रुपये ब्याज के रूप में देगी।
उन्होंने बताया कि इस मद में बकाया मूलधन 1,30,923.17 करोड़ रुपये का है। वित्त मंत्री ने कहा कि यूपीए के जमाने में तेल के जो दाम कम किए गए, उसकी कीमत सरकार अभी चुका रही है। तेल की खुदरा कीमत पर केंद्र के उत्पाद शुल्क में कटौती के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि तेल एक काफी कठिन मसला है।
वित्त मंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था रिकवर कर रही है और उसे सहारा देने के लिए संसद के गत सत्र में कई महत्वपूर्ण बिल लाए गए। लेकिन विपक्ष की तरफ से इन बिलों पर चर्चा के लिए आगे नहीं आना काफी दुखद है। उन्होंने कहा कि इन बिलों पर विपक्ष को चर्चा करना चाहिए था, सरकार को घेरना चाहिए था।
अगले कुछ दिनों में ई-फाइलिंग पोर्टल पूरी तरह हो जाएगा सुचारू
वित्त मंत्री ने बताया कि अगले कुछ दिनों में आयकर रिटर्न की ई-फाइलिंग के लिए शुरू किया गया नया पोर्टल पूरी तरह से सुचारू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि राजस्व विभाग के अधिकारी पोर्टल बनाने व उसके रखरखाव के लिए जिम्मेदार कंपनी इन्फोसिस के साथ लगातार संपर्क में हैं और हर सप्ताह राजस्व सचिव पोर्टल की दिक्कतों की समीक्षा कर रहे हैं। इस साल जून में इस पोर्टल को लांच किया गया था। वेतनभोगी 30 सितंबर तक पिछले वित्त वर्ष का आयकर रिटर्न दाखिल कर सकते हैं।