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नौकरीपेशा के लिए अच्छी खबर, EPS सदस्य अब पा सकेंगे बढ़ी हुई पेंशन

SC के फैसले के बाद ज्यादा पेंशन की योग्यता पूरी करने वाले ईपीएस सदस्य प्रोविडेंट फंड ऑफिस में जाकर अपना बकाया ले सकते हैं

By Praveen DwivediEdited By: Published: Wed, 13 Jun 2018 12:31 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jun 2018 07:15 AM (IST)
नौकरीपेशा के लिए अच्छी खबर, EPS सदस्य अब पा सकेंगे बढ़ी हुई पेंशन
नौकरीपेशा के लिए अच्छी खबर, EPS सदस्य अब पा सकेंगे बढ़ी हुई पेंशन

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। लंबे इंतजार के बाद एम्प्लॉय पेंशन स्कीम (ईपीएस) के सब्सक्राइबर्स के लिए अच्छी खबर आई है। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद अब ईपीएस सदस्य ज्यादा पेंशन पाने के हकदार होंगे। अब ज्यादा पेंशन की योग्यता पूरी करने वाले ईपीएस सदस्य प्रोविडेंट फंड ऑफिस में जाकर अपना बकाया ले सकते हैं। अब तक इन कार्यालयों से ऐसे सदस्यों को वापस लौटाया जा रहा था जो इसका दावा कर रहे थे।

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क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला: रिटायरमेंट फंड बॉडी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी कर इस पर स्थिति साफ की है। अक्टूबर, 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने र्इपीएफ अंशदाताओं के लिए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले में र्इपीएस के तहत याचिकाकर्ताओं के ज्यादा वेतन पर पेंशन को बदलने के लिए र्इपीएफओ को निर्देश दिए थे। इसी फैसले के मद्देनजर र्इपीएफओ ने अब योग्य र्इपीएफ सदस्यों को ज्यादा पेंशन देने के लिए अपने कार्यालयों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।

ईपीएफओ ने साल 1995 में एक पेंशन योजना की शुरुआत की थी। इस योजना में ईपीएफओ ने तब कहा था कि नियोक्ता को अपने कर्मचारियों को उनके मूल वेतन के 8.33 फीसदी या 541 रुपये मासिक तौर पर या फिर इनमें से जो भी कम हो कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) में देने होंगे। उस समय ईपीएफओ ने यह भी कहा था कि अगर कोई कर्मचारी अधिक पेंशन चाहता है तो वह अपने मूल बेसिक वेतन के 8.33 फीसदी योगदान को बढ़ा सकता है। लेकिन ईपीएफओ को यह सूचित करना जरूरी था कि कोई कर्मचारी ईपीएस में 541 रुपये प्रति महीने से ज्यादा योगदान देना चाहता है।

आपकी सैलरी में कितनी है EPS की हिस्सेदारी: एंप्लॉयी प्रविडेंट फंड (ईपीएफ) के नियमों के तहत एंप्लॉयर को एंप्लॉयी की बेसिक सैलरी का 12 फीसद ईपीएफ में रखना होता है। इस 12 फीसद रकम का 8.33 फीसद हिस्सा एंप्लॉयी पेंशन स्कीम (ईपीएस) में चला जाता है। वर्तमान में ईपीएफ पर प्रति माह 15,000 रुपये सैलरी की सीमा तय है। इसलिए, अभी ईपीएस में हर माह अधिकतम 1,250 रु पये का योगदान ही हो सकता है।

किन्हें मिलता है फायदा: कर्मचारी की उम्र 58 साल पूरा होने के बाद पेंशन शुरू हो जाती है। पेंशन की रकम इस बात पर निर्भर करती है कि कर्मचारी ने कितने वर्ष नौकरी की है और उसकी बेसिक सैलरी कितनी थी। अगर सर्विस के दौरान कर्मचारी की मौत हो जाती है तो उसकी पत्नी को जीवनभर या जब तक वह दूसरी शादी नहीं करती है, पेंशन मिलती रहेगी। साथ ही, दो बच्चों को पेंशन की 25 फीसद रकम मिलेगी।

अगर पत्नी की भी मौत हो चुकी है तो इस सूरत में कर्मचारी के देहांत के बाद उसके दो बच्चों को 25 वर्ष की उम्र तक पेंशन राशि की 75 फीसद रकम मिलती रहेगी। अगर दो से ज्यादा बच्चे हैं तो सबसे छोटे बच्चे के 25 वर्ष की उम्र पूरी करने तक यह सुविधा जारी रहेगी।


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