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खुशखबरी: EPFO सदस्य अब नौकरी खोने के 30 दिन बाद निकाल सकेंगे PF का 75% पैसा

नए प्रावधान से सदस्यों को दोबारा रोजगार पाने पर पुराना खाता जारी रखने का भी विकल्प मिल सकेगा

By Praveen DwivediEdited By: Published: Wed, 27 Jun 2018 08:27 AM (IST)Updated: Wed, 27 Jun 2018 06:13 PM (IST)
खुशखबरी: EPFO सदस्य अब नौकरी खोने के 30 दिन बाद निकाल सकेंगे PF का 75% पैसा
खुशखबरी: EPFO सदस्य अब नौकरी खोने के 30 दिन बाद निकाल सकेंगे PF का 75% पैसा

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। रिटायरमेंट फंड बॉडी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने सब्सक्राइबर्स से जुड़ा एक राहतभरा फैसला लिया है। अब नौकरी जाने की सूरत में सब्सक्राइबर्स (ईपीएफओ सदस्य) अपने पीएफ अकाउंट में जमा 75 फीसद रकम निकाल सकेंगे। बेरोजगार हुए सदस्य इसके दो महीने के बाद अपने खाते में पड़ा बाकी का 25 फीसद पैसा निकालकर खाता बंद करा सकते हैं।

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ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (सीबीटी) के चेयरमैन व केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने बोर्ड की बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि हमने कर्मचारी भविष्य निधि योजना 1952 में संशोधन करने का फैसला किया है। इसके तहत सदस्य नौकरी जाने पर एक महीने बाद 75 फीसद तक पैसा निकाल सकेंगे। मौजूदा नियम के अनुसार उन्हें दो महीने बाद पूरा पैसा निकालने की अनुमति होती है।

नए प्रावधान से सदस्यों को दोबारा रोजगार पाने पर पुराना खाता जारी रखने का भी विकल्प मिल सकेगा। गंगवार ने बताया कि ट्रस्टी बोर्ड की बैठक में लगभग पूरे एजेंडे को मंजूरी दे दी गई। एसबीआइ और यूटीआइ म्यूचुअल फंडों को एक जुलाई 2019 तक के लिए विस्तार दे दिया गया है। उनकी शर्तो को भी दिसंबर 2018 तक बढ़ा दिया गया है। बोर्ड ने पांच फंड मैनेजरों एसबीआइ, आइसीआइसीआइ सिक्योरिटीज प्राइमरी डीलरशिप, रिलायंस कैपिटल, एचएसबीसी एएमसी और यूटीआइ एएमएस को छह महीने का विस्तार दिया गया। सीबीटी ने पोर्टफोलिया मैनेजर के चयन के लिए सलाहकार नियुक्त करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी।

मंत्री ने बताया कि ईटीएफ में ईपीएफओ का निवेश जल्दी ही एक लाख करोड़ रुपये के पार निकल जाएगा। मई तक 47,431.24 करोड़ रुपये मई तक निवेश किया जा चुका है। इस साल इस पर 16.07 फीसद की आय हुई। ईपीएफओ ने फंड मैनेजरों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए नियुक्त सलाहकार क्रिसिल का भी कार्यकाल दिसंबर 2018 तक बढ़ा दिया। ईटीएफ में निवेश का दायरा बढ़ाने के प्रस्ताव पर फैसला टाल दिया गया। सदस्यों का मानना था कि नए फंड मैनेजरों की सलाहकार पर ही फैसला किया जाना चाहिए।


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