ELSS: शानदार रिटर्न के साथ टैक्स बचाने का यह है बेहतरीन जरिया, लॉक इन अवधि भी है सबसे कम
अलग-अलग निवेश ऑप्शन में अलग-अलग स्पेसिफिकेशन और फीचर्स हैं जिनके जरिए इनकम टैक्स एक्ट के विभिन्न वर्गों के तहत कर कटौती का दावा किया जा सकता है।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। कई इन्वेस्टमेंट ऑप्शन हैं जिनमें इन्वेस्ट करने पर आप इनकम टैक्स बचा सकते हैं। इनमें निवेश के बाद एक व्यक्ति आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करते समय कर छूट के लिए दावा कर सकता है। अलग-अलग निवेश ऑप्शन में अलग-अलग स्पेसिफिकेशन और फीचर्स हैं जिनके जरिए इनकम टैक्स एक्ट के विभिन्न वर्गों के तहत कर कटौती का दावा किया जा सकता है। इनकम टैक्स एक्ट 80सी सैलरी पाने वाले और मिडिल इनकम वालों के बीच बहुत लोकप्रिय है, क्योंकि इससे जरिए निवेश करने पर टोटल इनकम में 1.5 लाख रुपये तक पर टैक्स में छूट के लिए दावा किया जा सकता है।
भारत में कुछ लोकप्रिय टैक्स सेविंग इनवेस्टमेंट ऑप्शन हैं जिनमें सेक्शन 80सी के तहत टैक्स में छूट के लिए दावा किया जा सकता है। ऑप्शंस इस प्रकार हैं- इक्विटी-लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS), नेशनल पेंशन स्कीम (NPS), कर्मचारी भविष्य निधि (EPF), 5-वर्षीय सावधि जमा (FD) बैंक या डाकघर, सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF), राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (NSC), स्वैच्छिक भविष्य निधि (VPF), सुकन्या समृद्धि खाता (SSA), अटल पेंशन योजना (APY) आदि। इन सभी ऑप्शन में निवेश करने के लिए टोटल इनकम, रिस्क लेने की क्षमता, रिटर्न और अन्य आवश्यकताओं पर ध्यान दिया जाता है। यहां हम ईएलएसएस में पैसा लगाने के तीन अलग फायदों के बारे में जानेंगे।
ईएलएसएस बनाम 80 सी टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट ऑप्शन: 3 यूनिक बेनिफिट
सबसे कम लॉक-इन पीरियड
ईएलएसएस में 80सी के तहत आने वाले टैक्स-सेविंग इनवेस्टमेंट ऑप्शन जैसे कि बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट, पीपीएफ और सुकन्या समृद्धि अकाउंट के मुकाबले लॉक-इन पीरियड काफी कम होता है। ईएलएसएस में अनिवार्य लॉक-इन पीरियड 3 साल का है। इसके अलावा ईएलएसएस पर मिलने वाले लॉन्ग टर्म केपिटल गेन (LTCG) पर 10 फीसद टैक्स लगता है जो टैक्स सेविंग एफडी और अन्य ऑप्शन की तुलना में कम है।
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कोई अनिवार्य रिडेंप्शन नहीं
ईएलएसएस इनवेस्टमेंट में कोई अनिवार्य लॉक-इन पीरियड नहीं है, जिसका मतलब है कि एक व्यक्ति ईएलएसएस में इन्वेस्टमेंट जारी रखना चाहता है तो लॉक-इन पीरियड पूरा होने के बाद भी कर सकता है। जबकि मैच्योरिटी पीरियड पूरा होने पर एक व्यक्ति को टैक्स सेविंग एफडी, पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि अकाउंट जैसे निवेश ऑप्शन में से पैसा निकालना अनिवार्य है।
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इक्विटी में आकर्षक रिटर्न
ईएलएसएस के रिटर्न पीपीएफ, एफडी, एपीवाई, एनएससी, एनपीएस, आदि में निवेश पर मिलने वाले रिटर्न से काफी अधिक होते हैं। खासतौर पर अगर किसी व्यक्ति के पास लॉन्ग टर्म निवेश का समय है तो ईएलएसएस में 10 या इससे ज्यादा सालों में एक बड़ा अमाउंट मिल सकता है। आमतौर पर ईएलएसएस फंड में एवरेज रिटर्न 12 से 18 फीसद प्रति वर्ष तक होता है, वहीं अन्य 80 सी टैक्स सेविंग इंवेस्टमेंट ऑप्शन में रिटर्न 6 से 10 फीसद के बीच होता है।