एसबीआई की रिपोर्ट- रुपये में गिरावट से दोतरफा नुकसान
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में गिरावट से देश को दोतरफा नुकसान हो रहा है।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में गिरावट से देश को दोतरफा नुकसान हो रहा है। इससे न तो निर्यात बढ़ रहा है और न ही आयात में कमी आ रही है। हाल यह है कि रुपये में लगातार गिरावट के चलते चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में व्यापार घाटे में चार अरब डॉलर की वृद्धि हो गयी है।
यह बात एसबीआइ की एक रिपोर्ट ‘इकोरैप’ में कही गयी है। एसबीआइ ने इसमें आयात और निर्यात केंद्रित उद्योगों का विश्लेषण करने के बाद निष्कर्ष निकाला है कि आम धारणा के विपरीत रुपये के मूल्य में गिरावट से निर्यात में कोई सहायता नहीं मिली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रुपये में गिरावट के बावजूद निर्यात में गिरावट आ रही है और आयात बढ़ रहा हे। इसके असर के कारण व्यापार घाटे में लगभग चार अरब डॉलर की वृद्धि होने का अनुमान है। इसलिए रुपये में गिरावट से निर्यात बढ़ने और आयात में गिरावट के बारे में जो आम धारणा है, उस पर सवाल खड़े होते हैं।
उल्लेखनीय है कि इस साल सितंबर में जेम्स एंड ज्वैलरी और इंजीनियरिंग सहित कई क्षेत्रों के निर्यात में गिरावट के चलते भारत का कुल निर्यात 27.95 अरब डॉलर रहा है जो पिछले साल समान महीने के मुकाबले लगभग सवा दो प्रतिशत कम है। इस तरह पांच महीने बाद भारत के निर्यात में नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गयी है। इसी तरह इस साल सितंबर में भारत का आयात 10.45 प्रतिशत वृद्धि के साथ 41.9 अरब डॉलर रहा है। अनिवार्य आयात बदस्तूर जारी रहने के कारण आयात लगातार बढ़ रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल मार्च से अगस्त के दौरान पेट्रोलियम, एनबीएफसी, बिजली, दूरसंचार और ऑटोमोबाइल जैसे उद्योगों ने व्यापक स्तर पर विदेशों से ‘विदेशी वाणिज्यिक उधारी’ यानी ईसीबी की सुविधा का इस्तेमाल कर कर्ज लिया है। इस अवधि में देश में ईसीबी के जरिये जो राशि उधार ली गयी है उसका 71 प्रतिशत इन उद्योगों ने लिया है। इसका मतलब यह है कि रुपये के मूल्य में गिरावट से उन कंपनियों की बैलेंस शीट पर असर पड़ेगा इसलिए उन्होंने जोखिम से बचने के लिए हेजिंग का रास्ता अपनाया है। इन कंपनियों ने विदेशी मुद्रा में उतार-चढ़ाव के असर से बचने के लिए हेजिंग के तहत विदेशी मुद्रा के वायदा सौदे कर रखे हैं।
डब्ल्यूटीओ नियमों के अनुरूप निर्यात प्रोत्साहन बनेगी
वाणिज्य मंत्रालय डब्ल्यूटीओ नियमों के अनुरूप निर्यात प्रोत्साहन स्कीम बनाने पर काम कर रहा है। एक अधिकारी ने बताया कि यह स्कीम मौजूदा मर्केडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (एमईआइएस) का स्थान लेगी। इस समय सरकार एमईआइएस के तहत उत्पाद और आयातक देश के अनुसार शुल्क में रियायत देती है। अधिकारी ने बताया कि नई स्कीम का मसौदा तैयार करने का काम हो रहा है। यह स्कीम जल्दी ही तैयार होगी। अमेरिका ने सब्सिडी पर सवाल उठाते हुए डब्ल्यूटीओ के समक्ष शिकायत की है। उसका कहना है कि यह नियम विरुद्ध है और अमेरिकी कंपनियों को नुकसान पहुंचाती है।