Move to Jagran APP

ये क्या अभी तक नहीं बुझ पाई कोयले की आग

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। देश के बिजली संयंत्रों को पर्याप्त व उचित दर पर कोयला देने की सरकार की एक और कोशिश असफल होती दिख रही है। प्रधानमंत्री कार्यालय [पीएमओ] के हस्तक्षेप और केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठकें भी कोयला मंत्रालय व बिजली मंत्रालय के बीच की रार को खत्म नहीं कर पाई हैं। अब प्रधानमंत्री को इसमें सीधे हस्तक्षेप करना पड़ सक

By Edited By: Published: Tue, 12 Feb 2013 07:19 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
ये क्या अभी तक नहीं बुझ पाई कोयले की आग

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। देश के बिजली संयंत्रों को पर्याप्त व उचित दर पर कोयला देने की सरकार की एक और कोशिश असफल होती दिख रही है। प्रधानमंत्री कार्यालय [पीएमओ] के हस्तक्षेप और केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठकें भी कोयला मंत्रालय व बिजली मंत्रालय के बीच की रार को खत्म नहीं कर पाई हैं। अब प्रधानमंत्री को इसमें सीधे हस्तक्षेप करना पड़ सकता है।

loksabha election banner

सूत्रों के मुताबिक आयातित और घरेलू कोयले को मिला कर उनकी कीमत तय करने पर दोनों मंत्रालयों के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई है। पिछले हफ्ते आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति [सीसीईए] की बैठक में इस बारे में एक प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई थी। दोनों मंत्रालयों को एक महीने के भीतर नए फार्मूले के साथ आने को कहा गया था, लेकिन दोनों मंत्रालयों के बीच मतभेद बहुत ज्यादा है।

बिजली मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक अब बेहतर होगा कि प्रधानमंत्री सीधे इन मामलों में हस्तक्षेप करें। यही वजह है कि बिजली मंत्रालय ज्यादा इंतजार करने के बजाय दो दिनों बाद होने वाली सीसीईए की बैठक में कोयला कीमत तय करने के मामले को फिर से पेश करने की तैयारी की है। आयातित कोयले का मूल्य तय करने का जो फार्मूला कोयला मंत्रालय बता रहा है उसको लेकर बिजली मंत्रालय को सख्त एतराज है। इस फार्मूले के तहत कोयला आयात करने की लागत पूरी तरह से बिजली कंपनियों पर डाली जानी है। इस प्रस्ताव के विरोध में कई राज्य सरकारें भी हैं, जिनका कहना है कि इससे उन्हें फिर से बिजली को महंगा करना होगा।

केंद्र के दो मंत्रालयों के बीच इस बारे में सहमति नहीं बन पाने की वजह से कई बिजली परियोजनाओं का भविष्य लटका हुआ है। जब तक कोयले की कीमत पर फैसला नहीं होगा, बिजली संयंत्रों को कोयला आपूर्ति करने का मामला नहीं सुलझेगा। इस कीमत के आधार पर ही कोल इंडिया बिजली संयंत्रों के साथ ईधन आपूर्ति समझौता [एफएसए] करेगा। इसके तहत हर हालत में कोल इंडिया को 80 फीसद कोयला बिजली संयंत्रों को देना होगा। इस वजह से बिजली क्षेत्र की अनिश्चितता बढ़ती जा रही है। इससे आने वाले गर्मी के मौसम में बिजली की दिक्कत और बढ़ सकती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.