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Organic Farming : सबसे ज्यादा ऑर्गेनिक खेती के रकबे के बावजूद निर्यात में फिसड्डी है देश

Organic Farming केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय की स्थायी संसदीय समिति ने रासायनिक खाद पर दी जाने वाली सब्सिडी ऑर्गेनिक खेती करने वाले किसानों को भी मुहैया कराने का सुझाव दिया है

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Thu, 12 Dec 2019 10:18 AM (IST)Updated: Thu, 12 Dec 2019 12:16 PM (IST)
Organic Farming : सबसे ज्यादा ऑर्गेनिक खेती के रकबे के बावजूद निर्यात में फिसड्डी है देश
Organic Farming : सबसे ज्यादा ऑर्गेनिक खेती के रकबे के बावजूद निर्यात में फिसड्डी है देश

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। दुनिया में सर्वाधिक ऑर्गेनिक खेती का रकबा होने के बावजूद वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी बहुत कम है। कृषि क्षेत्र के इन परस्पर विरोधी आंकड़ों पर संसदीय समिति ने गंभीर चिंता जताते हुए इन उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए ऑर्गेनिक प्रोडक्शन जोन और ई-ऑर्गेनिक बाजार स्थापित करने का सुझाव दिया है। कृषि क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने और किसानों की आमदनी को बढ़ाने में ऑर्गेनिक उपज का निर्यात सबसे मुफीद साबित होगा।

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समिति ने बुधवार को राज्यसभा में अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की। केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय की स्थायी संसदीय समिति ने रासायनिक खाद पर दी जाने वाली सब्सिडी ऑर्गेनिक खेती करने वाले किसानों को भी मुहैया कराने का सुझाव दिया है, ताकि उनकी लागत घट सके। समिति ने कहा है कि पूर्वोत्तर के राज्यों के साथ पहाड़ी और आदिवासी क्षेत्रों में ऑर्गेनिक खेती के लिए बुनियादी सुविधाएं दी जानी चाहिए। समिति ने ऑर्गेनिक उत्पादों का निर्यात बढ़ाने के लिए वैश्विक बाजार में ब्रांड वैल्यू स्थापित करने की जरूरत पर जोर दिया है।

ऑर्गेनिक (जैविक) खेती के की उपज के मामले में भारत दुनिया का नौवां सबसे बड़ा देश है। यहां सर्वाधिक लघु व सीमांत किसान हैं, जिनके लिए इस तरह की खेती काफी लाभप्रद हो सकती है। लेकिन वैश्विक बाजार में जगह बनाने के लिए उत्पादों की गुणवत्ता का बेहद महत्वपूर्ण स्थान होता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में जैविक उत्पादों की सर्वाधिक मांग है, जिसके मद्देनजर इस तरह की खेती पर जोर देने की जरूरत है।

राज्यसभा सदस्य वी. विजयदेसाई रेड्डी की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय स्थायी संसदीय समिति ने ‘एक्सपोर्ट ऑफ ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स : चैलेंजेज एंड अपॉच्र्युनिटीज’ विषय पर अपनी सिफारिशें सदन में प्रस्तुत कीं। इस विषय पर समिति ने लगभग सवा साल में कुल सात बैठकें कीं। इस दौरान उन्होंने कॉमर्स, कृषि व किसान कल्याण, फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज, टेक्सटाइल्स, राज्य सरकारें, जैविक किसान संगठनों और एजेंसियों के साथ रिसर्च, ट्रेड और निर्यात संगठनों से लंबी चर्चा की है।

समिति ने देश के पहले ऑर्गेनिक राज्य सिक्किम का दौरा भी किया। समिति ने जैविक खेती की चुनौतियों को चिन्हित किया है। इनमें छोटी जोत, अधिक लागत, बायो फर्टिलाइजर, बायो पेस्टिसाइड व अन्य बायो खाद का महंगा होना और उपज के लिए उचित बाजार न होना प्रमुख हैं। उपज के लिए सर्टिफिकेट मिलना बहुत महंगा होने के साथ नीतिगत समर्थन का न मिलना जैविक खेती की राह के रोड़े हैं।

समिति ने पाया कि विश्व बाजार में जैविक उत्पादों की जबर्दस्त मांग है, जिसके लिए ऑर्गेनिक प्रोडक्शन जोन (ओपीजेड) बनाया जाना चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक जैविक उत्पाद के लिए उचित बाजार मुहैया कराने की दिशा में तत्काल ई-बाजार स्थापित किया जाना चाहिए, जिससे किसानों को उपभोक्ता से सीधे जोड़ने में मदद मिलेगी। समिति ने बताया कि पूर्वोत्तर के राज्यों में जैविक खेती की पर्याप्त संभावनाएं हैं।


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