खुदरा मुद्रास्फीति कम होने के बावजूद विशेषज्ञों का अनुमान RBI हाल फिलहाल में नहीं घटाएगा ब्याज दरें
खुदरा मुद्रास्फीति कम होने के बावजूद rbi की ओर से ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश कम है।
नई दिल्ली: भारत की वार्षिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जनवरी में 3.17 फीसदी रही है। यह बीते पांच सालों का सबसे निचला स्तर है, खाद्य पदार्थों की कीमतों में आई गिरावट इसकी प्रमुख वजह रही है। सोमवार को सरकार की ओर से जारी किए गए डेटा में यह बात सामने आई है।
रायटर की ओर से किए गए सर्वेक्षण में अर्थशास्त्रियों ने दिसंबर महीने की 3.41 फीसद के मुकाबले, पिछले महीने की वार्षिक खुदरा मुद्रास्फीति 3.22 फीसद पर आने के लिए उम्मीद लगाई थी। बीते महीने खाद्य मुद्रास्फीति की दर 0.53 फीसद रही थी, जो कि दिसंबर महीने की 1.37 फीसद के मुकाबले काफी कम है। गौरतलब है कि भारत ने साल 2012 की शुरुआत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर महंगाई दर को मापना चालू किया था।
फिलिप कैपिटल इंडिया की अर्थशास्त्री अंजलि वर्मा ने बताया, “कोर सीपीआई 5.10 फीसद पर है, जो कि जाहिर तौर पर एक ऊंची दर है। यह आरबीआई की उस दलील को जायज ठहराती है जिसमें उसने कहा था कि कोर इन्फ्लेशन स्टिकी है। इसलिए फिलहाल रेट कट की कोई गुंजाइश नहीं है।” उन्होंने आगे कहा, “आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति की दर आरबीआई के अनुमान से काफी कम होने की उम्मीद है।”
कोटेक इंस्टीट्यूशनल इक्विटी के सीनियर इकोनॉमिस्ट सुवोदीप रक्षित ने बताया, “मुझे नहीं लगता कि केंद्रीय बैंक हाल फिलहाल में रेट कट करने जा रहा है।”