वैश्विक बाधाओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में 7-7.8% की रहेगी वृद्धि, कृषि उत्पादन में वृद्धि और ग्रामीण विकास देंगे रफ्तार
इंस्टीट्यूट फार स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डवलपमेंट के निदेशक नागेश कुमार भी भानूमूर्ति का समर्थन करते हुए कहते हैं कि उच्च संकेतक मजबूत विकास का इशारा कर रहे हैं जिससे वित्त वर्ष 2022-23 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 7 से 7.8 प्रतिशत के बीच रह सकती है
नई दिल्ली, पीटीआइ। प्रमुख अर्थशास्त्रियों का कहना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर पैदा हुई बाधाओं के बावजूद चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7-7.8 प्रतिशत की वृद्धि रहेगी। कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी और ग्रामीण विकास में पुनरुद्धार से आर्थिक वृद्धि को मदद मिलेगी। प्रमुख अर्थशास्त्री और बीआर अंबेडकर स्कूल आफ इकोनामिक्स के वाइस चांसलर एनआर भानूमूर्ति का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था विभिन्न बाधाओं का सामना कर रही है। इसमें बाहरी बाधाएं प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक महंगाई की चुनौती बनी हुई है अन्यथा घरेलू मैक्रो फंडामेंटल काफी मजबूत हैं। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के विपरीत, भारत की ओर से किए गए राजकोषीय नीति हस्तक्षेप जैसे कोविड प्रोत्साहन उपाय महंगाई को कम करने और विकास को बढ़ावा देने वाले रहे हैं।
इंस्टीट्यूट फार स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डवलपमेंट के निदेशक नागेश कुमार भी भानूमूर्ति का समर्थन करते हुए कहते हैं कि उच्च संकेतक मजबूत विकास का इशारा कर रहे हैं जिससे वित्त वर्ष 2022-23 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 7 से 7.8 प्रतिशत के बीच रह सकती है। फ्रांसीसी अर्थशास्त्री गाय सरमन का कहना है कि भारत ऊर्जा की ज्यादा लागत और उर्वरक आयात से बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। हालांकि, भारत अभी भी बड़ा कृषि अर्थव्यवस्था है। धीमे विकास से शहरी कामगार प्रभावित होंगे और वे गांवों की ओर लौटेंगे। इससे कृषि उत्पादन और अनाज का निर्यात बढ़ सकता है।
विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में भारत की विकास दर के अनुमान को घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया है। वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की विकास दर 8.7 प्रतिशत रही थी। इससे पिछले वित्त वर्ष में विकास दर शून्य से नीचे गिरकर 6.6 प्रतिशत रही थी।