रुपये की कमजोरी से निर्यातकों को फायदा कम, नुकसान ज्यादा
जनवरी में डॉलर के मुकाबले रुपया 63.46 के स्तर पर था जो अब गिरकर 73 तक पहुंच गया। सुधार के बावजूद यह 72 के ऊपर बना हुआ है
नई दिल्ली (राजीव शर्मा)। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में आ रही कमजोरी से निर्यातकों को फायदा कम और नुकसान अधिक हो रहा है। डॉलर के मुकाबले चीन भी अपनी करेंसी युआन का अवमूल्यन करके बाजार में अपनी पकड़ बनाए हुए है। ऐसे में निर्यातकों ने सरकार से आग्रह किया है कि करेंसी की उठापठक रोकने के लिए तुरंत हस्तक्षेप किया जाए और रुपये को डॉलर के मुकाबले स्थिरता लाने के उपाय किए जाएं।
निर्यातक मानते हैं कि करेंसी की स्थिरता से ही उद्यमियों का बिजनेस बेहतर ढंग से चलता है। काबिलेजिक्र है कि जनवरी में डॉलर के मुकाबले रुपया 63.46 के स्तर पर था जो अब गिरकर 73 तक पहुंच गया। सुधार के बावजूद यह 72 के ऊपर बना हुआ है। रुपये के अवमूल्यन से विदेशी बाजारों में निर्यातकों के लिए संभावनाएं एकदम बढ़ गईं, लेकिन अप्रैल से लेकर अब तक चीन ने भी अपनी करेंसी युआन का करीब नौ फीसद अवमूल्यन किया है। अप्रैल से अब तक रुपये की भी कीमत 11-12 फीसद घटी है। अमेरिका- चीन के बीच ट्रेड वार को छोड़ दिया जाए तो विदेशी बाजारों में चीन से निर्यात की रफ्तार बरकरार है। इसका मुकाबला भारतीय निर्यातक कर नहीं पा रहे हैं।
इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल में बाइसाइकिल पैनल के संयोजक प्रदीप अग्रवाल का कहना है कि जिन निर्यातकों ने लंबे कांट्रेक्ट किए हैं उनको करंसी की उठापठक का लाभ हो रहा है, ऐसे निर्यातकों की संख्या करीब 15-20 फीसद है जबकि ज्यादातर निर्यातकों के लिए हर निर्यात ऑर्डर का अलग रेट तय होता है, ऐसे निर्यातकों के लिए मुश्किल है। उनसे विदेशी खरीदार करेंसी में गिरावट के चलते मूल्य घटाने की मांग कर रहे हैं।
कच्चे माल की तेजी से बढ़ रही है उत्पादन लागत: फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्टर्स ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एससी रल्हन का कहना है कि निर्यातकों को करेंसी में गिरावट का फायदा कम नुकसान अधिक हो रहा है। एक तरफ कच्चे माल के रेट बढ़ रहे हैं। एक साल में स्टील 45 फीसद तक महंगा हो गया है जबकि केमिकल के दाम भी बढ़ते जा रहे हैं।
उत्पादों की लागत में इजाफा हो रहा है, जबकि दूसरी तरफ विदेशी खरीदार करेंसी में कमजोरी का फायदा मांग रहे हैं और उधारी माल पर पेमेंट काट कर दे रहे हैं। इससे निर्यातक को नुकसान हो रहा है। रल्हन ने सरकार से मांग की है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की उठापठक को तुरंत नियंत्रित किया जाए, तभी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। ईईपीसी के डिप्टी डायरेक्टर ओपिंदर सिंह का कहना है कि अगस्त 2017 में इंजीनियरिंग उत्पादों का निर्यात 38201.15 करोड़ रुपये था जो अगस्त 2018 में 31.81 फीसद इजाफे के साथ बढ़कर 50351.33 करोड़ रुपये हो गया। इसी तरह जनवरी से अगस्त 2017 के मुकाबले चालू साल इसी अवधि में इंजीनियरिंग निर्यात में 21.84 फीसद का इजाफा दर्ज किया गया है। ओपिंदर ने कहा कि करेंसी के अवमूल्यन के कारण रुपये की वेल्यू में निर्यात अधिक बढ़ा दिखाई दे रहा है।