नोटबंदी का बड़ा असर फ्यूल डिमांड ग्रोथ पर, 2017 में 40 फीसदी तक घटने का अनुमान
भारत की फ्यूल डिमांड ग्रोथ वर्ष 2017 में बीते वर्ष की तुलना में 40 फीसदी तक घटने का अनुमान है। इसका मुख्यत कारण केंद्र सरकार की ओर से लिया गया नोटबंदी का फैसला है
नई दिल्ली। भारत की फ्यूल डिमांड ग्रोथ वर्ष 2017 में बीते वर्ष की तुलना में 40 फीसदी तक घटने का अनुमान है। इसका मुख्यत कारण केंद्र सरकार की ओर से लिया गया नोटबंदी (1000 और 500 रुपए के नोट को बंद करना) का फैसला बताया जा रहा है जिसकी वजह से पैदा हुए नकदी संकट से बिजनेस, इंडस्ट्री और गाड़ियों की बिक्री पर विपरीत प्रभाव पड़ा है।
एनर्जी कंसल्टैंजसी वूड मैकेंजी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि हालांकि दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल उपभोक्ता देश भारत में डिमांड ग्रोथ पर पड़ने वाला असर अस्थायी रहने की संभावना है। वर्ष 2017 में चीन और अमेरिका के बाद भारत तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता देश बना रहेगा।
वर्ष 2016 में भारत की फ्यूल डिमांड सबसे तेज गति से बढ़ी थी। ऐसा इसलिए क्योंकि इस वर्ष तेल की कीमतें 16 वर्ष के सबसे निचले स्तर पर थीं, जिसकी वजह से गैसोलिन और एविएशन फ्यूल की डिमांड को काफी बूस्ट मिला है। लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि नकदी संकट के कारण इस वर्ष इस तेजी पर लगाम लग सकता है।
वर्ष 2017 में भारत की ऑयल प्रोडक्ट डिमांड ग्रोथ 160,000 बैरल प्रतिदिन रहने का अनुमान है, जो 2016 में 270,000 बैरल प्रति दिन थी। वूड मैकेंजी के सिंगापुर स्थित सीनियर मैनेजर (एशिया पैसीफिक रिफाइनिंग रिसर्च) सुरेश सिवानंदम ने कहा, “हम भारतीय डिमांड ग्रोथ में मंदी देख रहे हैं, ऐसा भारत सरकार की ओर से बड़े नोटों को चलन से बाहर करने की वजह से है। 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट बंद करने से नकदी संकट पैदा हुआ जिससे भारत के ओवरऑल आउटपुट पर असर पड़ा है। साथ ही उपभोक्ताि मांग भी प्रभावित हुई है।”
वर्ष 2017 की पहली तिमाही में डीजल (भारी औद्योगिक वाहन में ज्यादा उपयोग होता है) और गैसोलिन (यात्री वाहन में उपयोगी) की मांग कम रहने की उम्मीद है।
इंफ्रास्ट्रेक्चर प्रोजेक्ट पर खर्च और इकोनॉमिक ग्रोथ तथा फ्रेट शिपमेंट में ग्रोथ की वजह से डीजल में लंबी अवधि का परिदृश्य मजबूत बना हुआ है। वर्ष 2017 की पहली तिमाही में डीजल ग्रोथ केवल 2 फीसदी रहने का अनुमान है, जबकि बीते वर्ष के पहले 10 महीनों में डीजल की ग्रोथ 5 फीसदी थी।