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नोटबंदी के बाद गिरी महंगाई, कम हुए सब्जियों और दालों के दाम

खुदरा महंगाई दर का यह स्तर जनवरी 2014 के बाद न्यूनतम है। विशेष बात यह है कि खाद्य महंगाई दर भी घटकर 2.11 प्रतिशत पर आ गयी है।

By Surbhi JainEdited By: Published: Tue, 13 Dec 2016 05:48 PM (IST)Updated: Tue, 13 Dec 2016 09:03 PM (IST)
नोटबंदी के बाद गिरी महंगाई, कम हुए सब्जियों और दालों के दाम

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद कमजोर पड़ी मांग खासकर सब्जियों के भाव में गिरावट आने से खुदरा महंगाई दर नवंबर में घटकर 3.63 प्रतिशत रह गयी है। खुदरा महंगाई दर का यह स्तर जनवरी 2014 के बाद न्यूनतम है। विशेष बात यह है कि खाद्य महंगाई दर भी घटकर 2.11 प्रतिशत पर आ गयी है।

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खाद्य वस्तुओं की महंगाई में गिरावट आना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके बढ़ने पर समाज के आर्थिक रूप से कमजोर तबके पर सबसे ज्यादा मार पड़ती है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के अनुसार खुदरा मूल्यों पर आधारित महंगाई दर इस साल अक्टूबर में 4.20 प्रतिशत तथा पिछले साल नवंबर में 5.41 प्रतिशत थी। वैसे पिछले साल अगस्त में भी खुदरा महंगाई दर घटकर 3.66 प्रतिशत के स्तर पर आयी थी।

मंत्रालय के अनुसार नवंबर महीने में खुदरा महंगाई दर में गिरावट की एक वजह सब्जियों के भाव में कमी आना है। नवंबर में सब्जियों की मुद्रास्फीति दर -10 प्रतिशत रही जबकि अक्टूबर मंे यह -5.74 प्रतिशत थी। इस तरह सब्जियों के भाव में गिरावट का सिलसिला जारी है। हालांकि फलों की मुद्रास्फीति अक्टूबर मंे 4.42 प्रतिशत के मुकाबले थोड़ी बढ़कर नवंबर में 4.60 प्रतिशत हो गयी। सरकार के लिए चिंता की बात यह है कि अनाज की कीमतें बढ़ने लगी हैं।

नवंबर में अनाज की कीमतों में 4.86 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि अक्टूबर में इसमें 4.40 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। हाल के दिनों में गेहूं की कीमतें बढ़ी हैं जिसके चलते सरकार ने गेंहूं के आयात पर शुल्क घटाकर जीरो कर दिया है। वहीं प्रोटीन उत्पाद जैसे मीट और फिश की मुद्रास्फीति नवंबर में 5.83 प्रतिशत रही है जबकि अक्टूबर में यह 6.16 प्रतिशत थी। इसी तरह अंड़े की कीमतों में 8.55 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि पिछले महीने इसमें 9.42 प्रतिशत वृद्धि हुई थी।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर को राष्ट्र के नाम संबोधन में 500 रुपये और 1000 रुपये के पुराने नोट बंद करने की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद मांग में काफी कमी आयी है, जिसका असर महंगाई पर पड़ा है। खुदरा महंगाई में गिरावट आना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि रिजर्व बैंक अपनी मौद्रिक नीति तय करते समय इसी को संज्ञान में लेता है। रिजर्व बैंक की कोशिश खुदरा महंगाई को मार्च के अंत तक पांच प्रतिशत से नीचे बनाए रखने की है। इस हिसाब से खुदरा महंगाई का ताजा स्तर आरबीआइ के लक्ष्य से काफी नीचे है।

कम हुए सब्जियों और दालों के दाम:
सांख्यिकी विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई के अंतर्गत सब्जियों की महंगाई दर नवंबर महीने में -10.29 फीसदी रही है जो कि अक्टूबर महीने में -5.74 फीसदी के स्तर पर रही थी। वहीं कपड़े और जूते चप्पल पर आधारित महंगाई भी कम हुई है। दालों की महंगाई दर 0.23 फीसदी रही है जो कि अक्टूबर महीने में 4.11 फीसदी रही थी। वहीं कपड़े और फुटवियर की महंगाई नवंबर महीने में 4.98 फीसदी रही जो कि अक्टूबर महीने में 5.24 फीसदी रही थी। भारत सरकार के सांख्यिकी विभाग की ओर से जारी किए गए डेटा के मुताबिक सब्जियों की कीमत में 10 फीसदी की गिरावट देखने को मिली, जबकि चीनी और कंफैक्श्नरी के उत्पादों के दाम 22 फीसदी तक बढ़े हैं।

ग्रामीण इलाकों पर ज्यादा असर:
खुदरा महंगाई में आई गिरावट का सबसे ज्यादा असर ग्रामीण इलाकों में दिखा है। ग्रामीण इलाकों में महंगाई दर नवंबर महीने में 4.13 फीसदी रही है जो कि अक्टूबर महीने में 4.78 फीसदी रही थी। वहीं अगर शहरी इलाकों की बात करें तो शहरी इलाकों में महंगाई दर 3.05 फीसदी रही थी जो कि अक्टूबर महीने में 3.54 फीसदी रही थी।

फ्यूल और लाइटिंग सेक्टर पर कोई असर नहीं:
मंगलवार को जारी हुए खुदरा महंगाई के आंकड़ों के मुताबिक फ्यूल और लाइटिंग सेक्टर की महंगाई पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है। नवंबर महीने में फ्यूल और लाइटिंग सेक्टर से जुड़ी महंगाई दर 2.80 फीसदी रही जबकि अक्टूबर महीने में यह 2.81 फीसदी रही थी।


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