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इंडियाबुल्स से जुड़े फंड हेराफेरी मामले में आरबीआइ को नोटिस

दिल्ली हाई कोर्ट ने इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस (आइबीएचएफएल) से जुड़े फंड हेराफेरी मामले में शुक्रवार को केंद्र सरकार व आरबीआइ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

By NiteshEdited By: Published: Sat, 28 Sep 2019 12:05 PM (IST)Updated: Sat, 28 Sep 2019 12:05 PM (IST)
इंडियाबुल्स से जुड़े फंड हेराफेरी मामले में आरबीआइ को नोटिस
इंडियाबुल्स से जुड़े फंड हेराफेरी मामले में आरबीआइ को नोटिस

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस (आइबीएचएफएल) से जुड़े फंड हेराफेरी मामले में शुक्रवार को केंद्र सरकार व आरबीआइ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस कथित हेराफेरी की एसआइटी जांच की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि आइबीएचएफएल ने नियमों का उल्लंघन कर कई अनियमितताएं की हैं। कोर्ट ने अगली सुनवाई 13 दिसंबर को तय की है।

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दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल व जस्टिस सी. हरि शंकर की पीठ ने केंद्र सरकार, रिजर्व बैंक व इंडियाबुल्स से जवाब मांगा है। यह याचिका एक एनजीओ ने दायर की है। एनजीओ ने इस फाइनेंस कंपनी द्वारा की गई कथित धांधली की एसआइटी से जांच की मांग की है।

एनजीओ का कहना है कि बीते कई वर्षो से आइबीएचएफएल ने विभिन्न सरकारी व निजी बैंकों से मोटे कर्ज लिए। इस तरह उसने जनता का पैसा और आइबीएचएफएल के अंशधारकों व निवेशकों का पैसा बड़े कॉरपोरेट समूहों के स्वामित्व वाली कंपनियों को संदिग्ध कर्ज के रूप में देकर उसे दांव पर लगाया। यही पैसा उक्त समूह इंडियाबुल्स के प्रमोटर्स की कंपनी में निवेश कर रहे हैं।

गैर- सरकारी संगठन ने अदालत से कारपोरेट कार्य मंत्रालय को इंडियाबुल्स की कथित अनियमितताओं के मामले में एसएफआईओ से जांच कराने का आदेश देने का आग्रह किया है। इस एनजीओ के सदस्यों में दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायामिर्ति ए पी शाह, पूर्व मुख्य नौसेना प्रमुख एडमिरल एल रामदास, पूर्व आईएएस अधिकारी अरुणा रॉय और वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण शामिल हैं। एनजीओ की याचिका में इसके अलावा अदालत से रिजर्व बैंक और एनएचबी को भी इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड की वित्तीय अनियमितताओं की जांच कराने और विशेष आडिट कराने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है।

याचिका दुर्भावनापूर्ण

इंडियाबुल्स ने पहले इस याचिका का विरोध करते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया था। उसने कहा था कि इससे उसके कारोबार और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच रहा है। 


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