डी6 ब्लॉक को रक्षा मंत्रालय ने घोषित किया प्रतिबंधित क्षेत्र
नई दिल्ली। रिलायंस इंडस्ट्रीज के कृष्णा गोदावरी (केजी) बेसिन स्थित डी6 ब्लॉक को रक्षा मंत्रालय ने उत्खनन कार्यो के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र (नो-गो एरिया) घोषित कर दिया है। इसके अलावा महानदी बेसिन सहित 13 अन्य तेल एवं गैस ब्लॉकों को भी इस श्रेणी में रखा गया है। मंत्रालय का कहना है कि डी6 में उत्खनन प्रस्तावित नौसैनिक अड्डे की परियोजना में बाधक
नई दिल्ली। रिलायंस इंडस्ट्रीज के कृष्णा गोदावरी [केजी] बेसिन स्थित डी6 ब्लॉक को रक्षा मंत्रालय ने उत्खनन कार्यो के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र [नो-गो एरिया] घोषित कर दिया है। इसके अलावा महानदी बेसिन सहित 13 अन्य तेल एवं गैस ब्लॉकों को भी इस श्रेणी में रखा गया है। मंत्रालय का कहना है कि डी6 में उत्खनन प्रस्तावित नौसैनिक अड्डे की परियोजना में बाधक है। वहीं महानदी बेसिन ब्लॉक वायु सेना के मिसाइल लांचिंग अभ्यास क्षेत्र के दायरे में आता है। मंत्रालय के इस कदम से देश में गैस का भारी संकट पैदा हो सकता है क्योंकि इन ब्लॉकों में इसके भारी भंडार मौजूद हैं।
रक्षा मंत्रालय ने अब तक कुल 47 तेल एवं गैस ब्लॉकों की मंजूरियां या तो रद की हैं या रोक रखी हैं। इनमें से 14 ब्लॉकों को नो-गो एरिया घोषित किया गया है। इसमें रिलायंस और बीपी का केजी-डीडब्ल्यूएन-98/3 यानी केजी-डी6 ब्लॉक भी शामिल है। सरकार ने सभी मंत्रालयों की मंजूरी मिलने के बाद वर्ष 2000 में आरआइएल को इस ब्लॉक का आवंटन किया था। इस ब्लॉक से कंपनी ने सितंबर 2008 में तेल और अप्रैल 2009 में गैस उत्पादन शुरू किया था।
आरआइएल और बीपी के महानदी बेसिन ब्लॉक में भी गैस के बड़े भंडार मिले हैं। इसे भी रक्षा मंत्रालय ने नो-गो एरिया घोषित किया है। मंत्रालय के मुताबिक यह क्षेत्र वायु सेना के मिसाइल परीक्षण केंद्र के दायरे में है। सूत्रों के मुताबिक नो-गो एरिया घोषित किए गए 12 अन्य ब्लॉकों में ओएनजीसी, केयर्न इंडिया और ऑस्ट्रेलिया की बीएचपी बिलिटन के ब्लॉक भी शामिल हैं। यह ब्लॉक भी नौसेना और वायु सेना के प्रस्तावित अभ्यास केंद्रों के करीब हैं।
आरआइएल जैसी कंपनियां अब तक इन ब्लॉकों में 15 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश कर चुकी हैं। सूत्रों के मुताबिक रक्षा मंत्रालय द्वारा जिन 47 तेल एवं गैस ब्लॉकों में उत्खनन की मंजूरियां रद या स्थागित की गई हैं, उन सभी पर हाल ही में गठित निवेश मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति [सीसीआइ] इसी सप्ताह विचार करेगी। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने पिछले सप्ताह संकेत दिए थे इस महीने के अंत तक सीसीआइ की बैठक होगी और इसमें तेल एवं गैस ब्लॉकों की मंजूरियों पर विचार होगा।
सूत्रों के मुताबिक तेल मंत्रालय ने सीसीआइ को भेजे एक नोट में दलील दी है कि इन ब्लॉकों को मंजूरियां नहीं मिलने से सरकार और कंपनियों के बीच कानूनी विवादों और मुकदमों का सिलसिला शुरू हो सकता है। साथ ही इससे निवेश माहौल प्रभावित होगा और आर्थिक विकास पर बुरा असर पड़ेगा। मंजूरियां नहीं मिलने पर आरआइएल जैसी कंपनियां उत्पादन साझेदारी समझौते [पीएससी] के उल्लंघन का हवाला देकर मुआवजे की मांग कर सकती हैं।