Move to Jagran APP

पूरी रणनीति के साथ किया गया आयात शुल्क में वृद्धि का फैसला

यह थोड़ा ही सही लेकिन चीन के साथ कारोबार घाटे को पाटने में मददगार साबित होगा। पिछले वित्त वर्ष भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 56 अरब डॉलर का रहा था।

By NiteshEdited By: Published: Tue, 04 Feb 2020 07:53 PM (IST)Updated: Wed, 05 Feb 2020 08:59 AM (IST)
पूरी रणनीति के साथ किया गया आयात शुल्क में वृद्धि का फैसला
पूरी रणनीति के साथ किया गया आयात शुल्क में वृद्धि का फैसला

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जिस तरह से वित्त मंत्री ने आम बजट 2020-21 में एक साथ 76 उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने का फैसला किया है उसको लेकर कई विशेषज्ञों ने आश्चर्य जताया है लेकिन वित्त मंत्रालय के आला अधिकारियों का कहना है कि एक एक आइटम पर सीमा शुल्क बढ़ाने का फैसला काफी सोच विचार कर हुआ है। उन उत्पादों पर सीमा शुल्क बढ़ाया गया है जिनके आयात पर काफी ज्यादा विदेशी मुद्रा खर्च की जा रही थी। साथ ही इन उत्पादों को भारत में बनाने की पूरी क्षमता है लेकिन सस्ते आयात की वजह से भारतीय इकाइयों को हानि हो रही थी। ऐसे में वाणिज्य मंत्रालय के विमर्श के बाद उन उत्पादों का चयन किया गया है जिनके आयात को हतोत्साहित करके भारत में उनके निर्माण को बढ़ावा मिले।

loksabha election banner

यह भी उल्लेखनीय है कि जिन उत्पादों के आयात पर शुल्क बढ़ाया गया है वे तकरीबन सारे के सारे चीन से मंगाये जा रहे थे। इस तरह से सरकार का कदम चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटे को थामने में भी मदद करेगा।इसी उद्देश्य से आम बजट में फर्नीचर व कई तरह के इलेक्टि्रक घरेलू उपकरणों पर आयात शुल्क 10 फीसद से बढ़ा कर 20 फीसद किया है। मध्यम वर्ग की संख्या बढ़ने से भारत में फर्नीचर बाजार तेजी से बढ़ रहा है। अभी यह 6 अरब डॉलर का हो गया है। लेकिन चीन की कंपनियां इस बाजार पर हावी हो रही थी।

पिछले वित्त वर्ष चीन से तकरीबन 1.6 अरब डॉलर का फर्नीचर आयात किया गया। लेकिन बाजार के सूत्रों के मुताबिक फर्नीचर की कीमत तय करने का कोई अंतरराष्ट्रीय ठोस मानक नहीं होने की वजह से कंपनियां इसकी आड़ में कालाबाजारी भी कर रही थी। यह सब रुकेगा। साथ ही देश के कई शहरों में फर्नीचर कलस्टर बनाने की भी प्लानिंग है ताकि आयात प्रतिबंधित होने के बाद घरेलू मांग को आसानी से पूरा किया जा सके। घरेलू मांग पूरा करने के साथ ही भारत की नजर वैश्विक फर्नीचर बाजार पर भी है जो 264 अरब डॉलर की है। विएतनाम जैसे देश भी 11 अरब डॉलर का फर्नीचर निर्यात करता है। भारत पिछले महीने ही व‌र्ल्ड फर्नीचर काउंसिल का सदस्य बना है ताकि वैश्विक बाजार का फायदा उठा सके।

बजट के जरिए फुटवियर, फुटवियर में इस्तेमाल होने वाले दूसरे सामान, किचेन सामग्री, क्ले से बने उत्पाद व सेरामिक से बने सारे घरेलू उपकरणों, टेबल, किचन, कार्यालय में सजावट के तौर पर इस्तेमाल होने वाले कांच के उपकरणों, तांबे, अल्यूमियिनम के बने सजावटी घरेलू उपकरणों पर भी सीमा शुल्क 10 फीसद से बढ़ा कर 20 फीसद कर दिया है। मोटे तौर पर भारत में इनके समेत कुछ दूसरे सजावटी उपकरणों का आयात 10 अरब डॉलर का सालाना है। इसका ज्यादातर हिस्सा चीन से ही आता है। जानकारों का कहना है कि बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की वजह से चीन बहुत ही कम मार्जिन पर इनका निर्यात भारत को करता है। 10 फीसद की सीमा शुल्क बढ़ाने से भी इन उत्पादों को भारत भेजने की लागत बढ़ जाएगी। यह थोड़ा ही सही लेकिन चीन के साथ कारोबार घाटे को पाटने में मददगार साबित होगा। पिछले वित्त वर्ष भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 56 अरब डॉलर का रहा था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.