पेट्रोलियम क्षेत्र में लगेगी फैसलों की झड़ी
नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। अपने कार्यकाल के अंतिम साल में संप्रग-दो ने माथे पर लगे नीतिगत अनिश्चितता के दाग को दूर करने की ठानी है। इसका सबसे बड़ा बीड़ा पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री वीरप्पा मोइली ने उठाया है। वह पेट्रोलियम क्षेत्र में सिर्फ इस कार्यकाल तक के लिए ही नहीं, बल्कि अगले 17-1
नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। अपने कार्यकाल के अंतिम साल में संप्रग-दो ने माथे पर लगे नीतिगत अनिश्चितता के दाग को दूर करने की ठानी है। इसका सबसे बड़ा बीड़ा पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री वीरप्पा मोइली ने उठाया है। वह पेट्रोलियम क्षेत्र में सिर्फ इस कार्यकाल तक के लिए ही नहीं, बल्कि अगले 17-18 वर्षो तक की नीतियां बनाने में जुट गए हैं। मोइली अगले छह महीने के भीतर पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत तय करने का नया फार्मूला निकालने से लेकर प्राकृतिक गैस की कीमत बढ़ाने और तेल व गैस खोज कार्य पर निवेशकों को बेहतर प्रोत्साहन देने जैसे अहम मुद्दों पर नीति बनाना चाहते हैं।
दैनिक जागरण को दिए इंटरव्यू में वीरप्पा मोइली ने बताया कि सबसे पहले प्राकृतिक गैस की कीमत पर फैसला किया जाएगा। इस पर कैबिनेट प्रस्ताव तैयार है। मंत्रालय ने गैस की कीमत बढ़ा कर 6.70 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू [गैस नापने का मानक] करने का प्रस्ताव किया है। वित्त मंत्रालय और योजना आयोग इससे ज्यादा की वृद्धि करना चाहते हैं। इस पर पीएमओ ने कुछ और जानकारी मांगी है। सरकार अगले हफ्ते इस पर दो टूक फैसला करना चाहती है ताकि निवेशकों के सामने स्थिति साफ हो सके। उन्होंने बताया कि गैस कीमत को लेकर अनिश्चितता की वजह से ही पिछले चार वर्षो से देश के पेट्रोलियम क्षेत्र में कोई नया निवेश नहीं आया है।
इसके बाद सरकार का पूरा ध्यान रसोई गैस सब्सिडी को सीधे बैंक खाते में देने की योजना के प्रसार पर है। पहले चरण में 18 जिलों में यह लागू है। पहले 10 दिनों के अनुभव से उत्साहित मोइली ने बताया कि इस महीने के अंत में पूरी नीति की समीक्षा की जाएगी और सारे देश में इसे लागू करने पर फैसला किया जाएगा। इससे रसोई गैस सब्सिडी में भारी बचत होगी। हालांकि सरकार की केरोसिन सब्सिडी सीधे बैंक खाते में देने की फिलहाल कोई योजना नहीं है। मोइली ने बताया कि केरोसिन सब्सिडी को लेकर नई सरकार के कार्यकाल में फैसला होगा। वैसे इसका रोडमैप बनाया जा चुका है। साफ है कि चुनावी साल में सरकार केरोसिन सब्सिडी घटाने को लेकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती।
मोइली जो तीसरा अहम फैसला करने जा रहे हैं, वह तेल कंपनियों की तरफ से पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत तय करने के मौजूदा तौर-तरीके में बदलाव को लेकर है। अभी तेल कंपनियां 80 फीसद आयात मूल्य व 20 फीसद निर्यात मूल्य को मिला कर घरेलू बाजार में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत तय करती हैं। वित्त मंत्रालय इसके खिलाफ है। इस पर फैसला करने के लिए बुधवार को ही योजना आयोग के पूर्व सदस्य किरीट पारीख की अध्यक्षता में एक समिति बनी है। समिति तीन महीने में रिपोर्ट देगी और मोइली उसे तत्काल लागू करने का मन बना चुके हैं।