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WPI और IIP के बाद अब बदलेगा GDP का भी बेस ईयर: डी. वी. सदानंद गौड़ा

सांख्यकीय मंत्रालय जीडीपी का आधार वर्ष बदलकर 2017-18 करने की तैयारी में है

By Surbhi JainEdited By: Published: Wed, 14 Jun 2017 11:01 AM (IST)Updated: Wed, 14 Jun 2017 11:01 AM (IST)
WPI और IIP के बाद अब बदलेगा GDP का भी बेस ईयर: डी. वी. सदानंद गौड़ा
WPI और IIP के बाद अब बदलेगा GDP का भी बेस ईयर: डी. वी. सदानंद गौड़ा

नई दिल्ली (जेएनएन)। सांख्यकीय मंत्रालय अगले वर्ष 2018 के अंत तक घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वे और श्रम शक्ति के आंकड़े तैयार करने के बाद राष्ट्रीय खाते यानी सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) का आधार वर्ष बदलेगा। इसका आधार वर्ष मौजूदा 2011-12 से बदलकर 2017-18 करने का प्रस्ताव है।

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सांख्यकीय मंत्री डी. वी. सदानंद गौड़ा ने मंत्रालय की पिछले तीन साल की उपलब्धियां बताने के लिए बुलाई प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि उनका मंत्रालय नेशनल एकाउंट्स स्टैटिस्टिक्स का आधार वर्ष बदलकर 2017-19 करने की योजना बना रहा है। इस विशालकाय प्रक्रिया के लिए काम शुरू हो चुका है। इसका विवरण देते हुए मुख्य सांख्यकीय अधिकारी टी. सी. ए. अनंत ने कहा कि रोजगार सर्वे और घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वे के नतीजे सामने आने के बाद आधार वर्ष बदला जा सकेगा। इन सर्वेक्षणों के आंकड़े इस बदलाव में अहम होंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि अच्छे मानसून और नीतिगत कदम उठाये जाने से अप्रैल-जून तिमाही के मुकाबले आर्थिक विकास दर और तेज होगी।

अनंत ने बताया कि रोजगार और घरेलू उपभोक्ता व्यय के सर्वे के नतीजे अगले साल उपलब्ध हो जाएंगे। घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वे चालू वित्त वर्ष 2017-18 में हो रहा है। इसका काम जून 2018 तक पूरा कर लिया जाएगा। रोजगार संबंधी सर्वे के नतीजे दिसंबर 2018 तक जारी किये जा सकेंगे। इसका काम अप्रैल 2017 में शुरू किया गया है।1इससे पहले केंद्रीय सांख्यकीय कार्यालय (सीएसओ) ने 2015 में जीडीपी का आधार वर्ष बदलकर 2011-12 किया था। इससे पहले इसका आधार वर्ष 2004-05 था। पिछले महीने सीएसओ ने औद्योगिक उत्पादन सूचकांक का आधार वर्ष 2004-05 से बदलकर 2011-12 किया था। सूचकांक से औद्योगिक गतिविधियों का आंकलन किया जाता है। इसके अलावा थोक महंगाई आंकने वाले थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआइ) का आधार वर्ष भी 2004-05 से बदलकर 2011-12 किया गया था।

आंकड़े संग्रह के लिए पोर्टल
मंत्री ने संवाददाताओं को बताया कि सीएसओ आंकड़े संग्रह करने के लिए एक पोर्टल विकसित करने पर भी काम कर रहा है। इससे मासिक सूचकांक जारी करने का समय घट जाएगा। इस समय ये आंकड़े जारी करने में 42 दिन लगते हैं। उन्होंने कहा कि हम भारतीय अर्थव्यवस्था की फैक्ट शीट विकसित करने की संभावनाएं तलाश रहे हैं। इस फैक्ट शीट पर मंत्रलयों के तमाम विभाग और कार्यालय तिमाही आधार पर भारतीय अर्थव्यस्था के 100 महत्वपूर्ण आंकड़े अपलोड कर सकेंगे। इससे आंकड़े जुटाना, उनका विश्लेषण और शीर्ष स्तर पर सरकार में फैसला करना ज्यादा आसान होगा।
 


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