Move to Jagran APP

क्रिप्टो विस्फोट में लुट गए निवेशक, होल्डिंग्स में आई 99.98% की गिरावट; सभी को सीख लेने की जरूरत

लूना नाम की क्रिप्टोकरेंसी में एक हफ्ते के दौरान 99.98% की गिरावट देखी गई है। इसमें निवेश करने वालों के लिए यह बहुत ही बड़ा नुकसान है। यह क्रिप्टो विस्फोट भविष्य के लिए एक सीख हो सकती है।

By Lakshya KumarEdited By: Published: Sun, 22 May 2022 10:03 AM (IST)Updated: Sun, 22 May 2022 10:03 AM (IST)
क्रिप्टो विस्फोट में लुट गए निवेशक, होल्डिंग्स में आई 99.98% की गिरावट; सभी को सीख लेने की जरूरत
क्रिप्टो विस्फोट में लुट गए निवेशक, होल्डिंग्स में आई 99.98% की गिरावट; सभी को सीख लेने की जरूरत (प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। लूना नाम की एक क्रिप्टोकरेंसी है। एक हफ्ते में यह 99.98 प्रतिशत गिर चुकी है। लूना के फैन खुद को ‘लूनेटिक’ (यानी दीवाना) कहते हैं और मीडिया में चल रही कहानियों की मानें तो ऐसे बहुत से भारतीय हैं, जिन्होंने इसमें निवेश किया है। पांच मई, 2022 को अगर इसके दीवानों की होल्डिंग एक लाख रुपये थी, तो अब वो उस पैसे से बस एक समोसा ही खरीद सकते हैं।

loksabha election banner

लूना समेत तमाम क्रिप्टोकरेंसी के नुकसान को लेकर टीवी पर हल्ला मचा हुआ है। हालांकि, मैं बिल्कुल नहीं मानता कि ये नुकसान बड़ा है। असल में तो ये चौंकाने वाला नुकसान भी नहीं है। यह ठीक वही है, जिसकी क्रिप्टो नाम की बेहूदगी से उम्मीद की जानी चाहिए थी। आने वाले दिनों और हफ्तों में ऐसा और भी बहुत कुछ दिख सकता है। इस बीच उम्मीद बस यही है कि क्रिप्टोकरेंसी के लिए जिस तरह का टैक्स ढांचा इस साल के बजट में रखा गया है, उसकी वजह से पहले के मुकाबले कम भारतीय क्रिप्टो से बर्बाद होंगे।

मगर सबसे चकराने वाली बात है कि इन निवेशकों ने बिटक्वॉइन जैसे ‘कंजर्वेटिव आप्शन’ के बजाए लूना जैसे हाशिये पर पड़े विकल्प को चुना। इससे भी अजीब बात है कि आज भी काफी लोग कह रहे हैं कि क्योंकि क्रिप्टो का प्राइस इतना गिर गया है, अब इसकी वैल्यू पहले से कहीं बेहतर हो गई है। ये निवेश में इस्तेमाल होने वाले टर्म ‘वैल्यू’ का बिल्कुल ही बिगड़ा हुआ रूप है। जिस निवेश का कोई आर्थिक आधार न हो, उसकी कोई ‘वैल्यू’ होती ही नहीं है। कुछ हफ्ते पहले, जब मौजूदा क्रिप्टो क्रैश की शुरुआत हुई, तब नसीम निकोलस तालेब ने ये ट्वीट किया था, ‘क्रिप्टोकरेंसी जैसे बिना आर्थिक आधार वाले एसेट की गिरती कीमत इसे सस्ता और ज्यादा आकर्षक नहीं बनाती है। बल्कि गिरती कीमत इसे कम पसंद आने वाला और ज्यादा महंगा बना देती है। क्योंकि कीमत ही इसकी एकमात्र जानकारी है।’

उनकी लिखी आखिरी लाइन का मतलब आप समझ लें तो पूरी कहानी समझ आ जाएगी। किसी कंपनी के स्टाक की कीमत का एक तर्कपूर्ण वित्तीय आधार होता है और इस तर्क की जड़ में उस कंपनी के बिजनेस का ट्रैक-रिकार्ड होता है। यानी वो मुनाफा जो कंपनी कमाती है और भविष्य में भी कमाती रहेगी। यानी अगर स्टाक की कीमत गिरती है और बिजनेस ठीक-ठाक चलता रहता है या बेहतर हो जाता है, तो स्टाक सस्ता कहलाएगा और इसीलिए खरीदने के लिए बेहतर हो जाएगा। असल में, इस समय भारतीय स्टाक मार्केट में ठीक यही हो रहा है। स्टाक के दाम क्रैश कर रहे हैं, मगर कई अच्छी कंपनियों के बुनियादी पैमाने स्थिर हैं या सुधर रहे हैं। इसी से निवेशकों के लिए बेहतर वैल्यू बनती है। निवेश में वैल्यू का यही मतलब होता है। क्रिप्टो के साथ ऐसा कोई तार्किक वित्तीय आधार नहीं है। बस इनकी कीमत देखकर ही लोग इन्हें खरीद रहे हैं। कीमत भी गिर जाए, तो इनमें निवेश की कोई वजह नहीं रह जाती।

क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के पीछे कोई तार्किक आधार नहीं है। कीमत ही इनकी वैल्यू आंकने का तरीका है। यदि कीमत ही गिर जाए, तो आप किसी और तरीके से इसकी वैल्यू कैलकुलेट नहीं कर सकते। इसमें निवेश सिर्फ जुआ है। यह बस जानकर भी अगर आप जुआ खेलना चाहते हैं, तो खेलिए। मगर फिर मत कहिएगा कि किसी ने आपको चेताया नहीं।

(लेखक वैल्यू रिसर्च आनलाइन डाट काम के सीईओ हैं और यह उनके निजी विचार हैं।)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.