रिफाइंड के आयात पर प्रतिबंध से बेअसर होगा घरेलू बाजार, सरकार के फैसले से घरेलू खाद्य तेल रिफाइनरियों को बड़ी राहत
देश में खाद्य तेलों की कुल जरूरत 250 लाख टन है जिसके लिए 150 लाख टन की जरूरत आयात से पूरी होती थी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रिफाइंड पाम आयल के आयात पर लगाए गए प्रतिबंध का उपभोक्ताओं पर फिलहाल कोई असर नहीं पड़ेगा। रिफाइंड आयल की जगह देश की खाद्य तेलों की मांग को पूरा करने के लिए क्रूड पाम आयल का आयात जरूर बढ़ जाएगा। जबकि सरकार के इस फैसले से घरेलू खाद्य तेल रिफाइनरियों को बड़ी राहत मिली है, जो अपनी उत्पादन क्षमता का दोहन न कर पाने की वजह से बंद होने की कगार पर खड़ी थीं। द सॉल्वेंट एक्सटैक्टर्स एसोसिएसन आफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर बीवी मेहता के मुताबिक घरेलू रिफाइनरी वालों की बहुत पुरानी मांग थी, जिसे सरकार ने पूरा कर दिया है। इससे बंद होने के कगार पर पहुंच चुकी सैकड़ों रिफाइनरियों में उत्पादन शुरु हो जाएगा, जिससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
एसोसिएशन के जारी आंकड़ों के मुताबिक सालाना 150 लाख टन खाद्य तेलों का आयात किया जाता है, जिसमें 94 लाख टन हिस्सा पाम आयल का हिस्सा होता है। आयातित कुल पाम आयल में 27 लाख टन रिफाइंड पाम आयल है। अंतरराष्ट्रीय जिंस कारोबार के विशेषज्ञ संजीव गर्ग का कहना है कि क्रूड पाम आयल (सीपीओ) पर 41.25 फीसद आयात शुल्क है, जबकि रिफाइंड पाम आयल पर 49.50 फीसद है। इसके बावजूद रिफाइंड आयात में लगातार वृद्धि हो रही थी। भारत में सर्वाधिक पाम आयल का निर्यात करने वाले देशों में इंडोनेशिया और मलयेशिया सबसे आगे हैं। मलयेशिया से रिफाइंड पाम आयल का आयात लगातार बढ़ रहा था जो घरेलू रिफाइनरियों के लिए मुश्किलों का सबब बन गया था। हाल के राजनीतिक अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम में मलयेशिया को लेकर भारत का रुख सख्त हो गया था। सरकार के इस फैसले को मलयेशिया को कारोबारी सबक सिखाने के तौर पर भी देखा जा रहा है। तात्कालिक और दीर्घकालिक तौर पर इस फैसले का असर खाद्य तेलों के दामों पर पड़ने की संभावना नहीं है।
खाद्य तेल के कारोबार से ताल्लुक रखने वालों की नजर में यह कदम बहुत पहले उठाना चाहिए था। डॉक्टर मेहता के मुताबिक देश में पांच सौ से अधिक छोटी रिफाइनरी है, जबकि एक दर्जन बड़ी ब्रांडेड खाद्य तेलों वाली रिफाइनरियां हैं। ये रिफाइनरियां अपनी स्थापित क्षमता के मुकाबले बहुत कम उत्पादन कर रही हैं। क्रूड आयल का आयात बढ़ने और इनमें उत्पादन होने से रोजगार बढ़ेगा। देश में खाद्य तेलों की कुल जरूरत 250 लाख टन है, जिसके लिए 150 लाख टन की जरूरत आयात से पूरी होती थी।