Move to Jagran APP

खुदरा लोन की गुणवत्ता पर फिर संकट, एनबीएफसी व एचएफसी की छोटी वसूली पर बड़ा असर पड़ेगा

इकरा के मुताबिक अगर राज्यों के बीच आवाजाही को फिर से बंद किया गया तो वाणिज्यिक वाहनों के लोन पर भी दबाव दिख सकता है। महाराष्ट्र और दिल्ली समेत कई अन्य क्षेत्रों में गैर-आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही बंद की दी गई है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Sun, 25 Apr 2021 09:47 AM (IST)Updated: Mon, 26 Apr 2021 08:11 AM (IST)
खुदरा लोन की गुणवत्ता पर फिर संकट, एनबीएफसी व एचएफसी की छोटी वसूली पर बड़ा असर पड़ेगा
खुदरा लोन ( P C : Pixabay )

नई दिल्ली, एएनआइ। कोरोना के बढ़ते मामलों से खुदरा लोन की गुणवत्ता को लेकर चिंता फिर बढ़ गई है। निवेश से संबंधित सूचना देने वाली कंपनी इकरा ने कहा है कि खासतौर पर गैर-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (एचएफसी) द्वारा बांटे गए कर्ज की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। एक रिपोर्ट में इकरा का कहना है कि आवाजाही पर प्रतिबंधों के चलते एनबीएफसी की वैसी वसूली पर बहुत ज्यादा असर पड़ेगा जो बहुत छोटी मात्रा की हैं और जिनमें अभी भी नकद में लेनदेन काफी ज्यादा होता है।

prime article banner

इकरा के मुताबिक अगर राज्यों के बीच आवाजाही को फिर से बंद किया गया तो वाणिज्यिक वाहनों के लोन पर भी दबाव दिख सकता है। महाराष्ट्र और दिल्ली समेत कई अन्य क्षेत्रों में गैर-आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही बंद की दी गई है। ऐसे में वाणिज्यिक वाहनों का परिचालन करने वाली कंपनियां अपनी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर पा रही हैं। इससे वाणिज्यिक वाहनों के कर्ज की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है।

हालांकि, एजेंसी का मानना है कि इस चुनौतीपूर्ण दौर में भी हाउसिंग लोन सेक्टर सबसे जीवंत रहने वाला है, जैसा कि पिछले वर्ष भी ऐसे संकटपूर्ण माहौल में दिखा था। इसकी वजह यह है कि यह सुरक्षित लोन माना जाता है और ग्राहक भी इसे चुकाने को प्राथमिकता देते हैं।

इकरा के वाइस प्रेसिडेंट व स्ट्रक्चर्ड फाइनेंस रेटिंग्स प्रमुख अभिषेक डफरिया ने कहा कि वर्तमान में सभी पाबंदियां स्थानीय स्तर तक सिमटी हुई हैं और उतनी ज्यादा कठिन नहीं हैं। लेकिन कोरोना की तीव्रता लगातार भयावह हो रही है क्योंकि इसे नियंत्रण में लाया जाना अभी बाकी है।

बीते वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून, 2020 में सिक्युरिटीज वॉल्यूम गिरकर 7,500 करोड़ रुपये रह गया था। इसकी वजह यह थी कि केंद्र सरकार ने मार्च के चौथे सप्ताह में देशव्यापी लॉकडाउन लगा दिया था। हालांकि, लॉकडाउन में छूट के बाद से इसमें तेजी देखी गई और बीते वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही यानी जनवरी-मार्च, 2021 में यह 40,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

इकरा का मानना है कि कोरोना की इस दूसरी लहर में सिक्युरिटीज वॉल्यूम में फिर तेज गिरावट दिख सकती है। इसकी वजह यह है कि एनबीएफसी व एचएफसी बहुत सोच-समझकर और परखकर लोन देंगी।

ऑक्सीजन की कमी से पांच क्षेत्रों पर बुरा असर

विश्लेषण क्षेत्र की ग्लोबल कंपनी क्रिसिल ने कहा है कि औद्योगिक ऑक्सीजन की कमी से पांच क्षेत्रों पर सबसे बुरा असर दिख सकता है। इनमें मेटल फेब्रिकेशन, ऑटो कंपोनेंट्स, शिप ब्रेकिंग यानी जीवनकाल समाप्त कर चुके पानी के जहाजों को तोड़ने का कारोबार, पेपर और इंजीनियरिंग शामिल हैं।

क्रिसिल रेटिंग्स के डायरेक्टर गौतम शाही ने कहा कि इन क्षेत्रों की छोटी कंपनियों के कारोबार पर फिलहाल बुरा असर पड़ सकता है। वैसे, क्रिसिल का कहना था कि संकट के इस दौर में मानव जीवन की रक्षा ज्यादा महत्वपूर्ण है। इसके बावजूद यह सच है कि कुछ क्षेत्रों के कारोबार पर औद्योगिक ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद होने का बुरा असर दिखेगा। उल्लेखनीय है कि कोरोना की दूसरी लहर के बीच अप्रैल के दूसरे सप्ताह में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग लगभग पांच गुना बढ़ गई है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.