लोन मोरेटोरियम समाप्त होने से 4 करोड़ एमएसएमई पर संकट, 31 अगस्त तक थी समयसीमा
अप्रैल से लेकर अगस्त तक लोन मोरेटोरियम के दौरान उद्यमियों को किस्त नहीं देनी की छूट थी और इससे उनके सिबिल स्कोर पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। (PC AP)
नई दिल्ली, राजीव कुमार। लोन मोरेटोरियम समाप्त होते ही देश के लगभग 4 करोड़ एमएसएमई पर वित्तीय संकट के बादल मंडराने लगे हैं। ये एमएसएमई ट्रेड, होटल, ट्रांसपोर्ट व अन्य सर्विस सेक्टर से जुड़े हैं। इन एमएसएमई का कहना है कि इस साल मार्च में लॉकडाउन आरंभ होने के बाद से ही सर्विस सेक्टर का कारोबार ठप चल रहा है। ऐसे में, वे बैंकों को कर्ज के किस्त या ब्याज देने में सक्षम नहीं हैं। लोन मोरेटोरियम खत्म होने के बाद अगर एमएसएमई अपने मासिक किस्त को नहीं चुकाते हैं या ब्याज नहीं देते हैं तो बैंकों के एनपीए खाते भी बढ़ेंगे जिसकी आशंका पहले ही जाहिर की जा चुकी हैं।
एमएसएमई मंत्रालय के मुताबिक देश में 6.33 करोड़ एमएसएमई हैं। इनमें से 4.36 करोड़ एमएसएमई ट्रेड व अन्य सर्विस सेक्टर से जुड़े हैं। चैंबर ऑफ इंडियन माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज के प्रेसिडेंट मुकेश मोहन गुप्ता के मुताबिक जरूरी क्षेत्र या मैन्यूफैक्चरिंग के कुछ क्षेत्रों को छोड़ किसी भी क्षेत्र में कारोबार नहीं हुआ। खास कर सर्विस सेक्टर तो पूरी तरह से ठप रहा। ऐसे में, सरकार को एमएसएमई के लिए लोन मोरेटोरियम की अवधि में कम से कम छह माह का विस्तार करना चाहिए। सर्विस सेक्टर से जुडे़ एमएसएमई ने बताया कि सरकार खुद इस बात को मान रही है कि यह महामारी एक्ट ऑफ गॉड हैं, फिर उनसे बैंक वाले ब्याज और ब्याज पर ब्याज मांगने के लिए मैसेज क्यों भेज रहे हैं।
सोमवार को चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के जीडीपी आंकड़ों से भी ट्रेड व अन्य सर्विस सेक्टर के कामकाज प्रभावित होने की पुष्टि हो रही है। जीडीपी आंकड़ों के मुताबिक पहली तिमाही में ट्रेड, ट्रांसपोर्ट, होटल, कम्युनिकेशन व अन्य सर्विस सेक्टर के ग्रास वैन्यू एडेड (जीवीए) में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 47 फीसद की गिरावट दर्ज की गई।
अप्रैल से लेकर अगस्त तक लोन मोरेटोरियम के दौरान उद्यमियों को किस्त नहीं देनी की छूट थी और इससे उनके सिबिल स्कोर पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। उनके खाते को एनपीए नहीं माना गया। लेकिन अब किस्त में शामिल उनके ब्याज को भी अब उनके मूलधन में जोड़ दिया गया और अब उन सभी का किस्त के रूप में भुगतान करना होगा। हालांकि किस्त या ब्याज चुकता नहीं करने पर एमएसएमई के लोन को रिस्ट्रक्चर किया जा सकता है, लेकिन यह बैंक पर निर्भर करेगा कि रिस्ट्रक्चरिंग के बाद भुगतान का क्या मैकेनिज्म होगा।
सर्विस सेक्टर के छोटे उद्यमियों ने बताया कि जब तक कारोबार कोरोना पूर्व काल के आसपास नहीं आ जाता है, वे किसी भी प्रकार के लोन या ब्याज देने की स्थिति में नहीं हैं। ये उद्यमी दूसरे बैंक या किसी अन्य प्रकार से अपने कारोबार का लेन-देने करने की तैयारी में है। क्योंकि जिस बैंक में इनका पहले से खाता है, वहां किसी प्रकार का भुगतान आते ही बैंक सबसे पहले अपना ब्याज और किस्त काट लेगा। दूसरी तरफ इन उद्यमियों को कारोबार जारी रखने के लिए नकदी की सख्त जरूरत है।