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Fuel Sector Crisis: पेट्रोल-डीजल की खुदरा बिक्री करने वाली निजी कंपनी नुकसान से परेशान, पत्र लिखकर सरकार से लगाई यह गुहार

जियो-बीपी और नायरा एनर्जी जैसी कंपनियों का दावा है कि उन्हें डीजल की बिक्री पर प्रति लीटर 20 से 25 रुपये और पेट्रोल पर 14 से 18 रुपये का नुकसान हो रहा है। इन कंपनियों ने पेट्रोलियम मंत्रालय को पत्र लिखकर सरकार से गुहार लगाई है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 19 Jun 2022 07:07 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jun 2022 08:00 AM (IST)
Fuel Sector Crisis: पेट्रोल-डीजल की खुदरा बिक्री करने वाली निजी कंपनी नुकसान से परेशान, पत्र लिखकर सरकार से लगाई यह गुहार
दाम नहीं बढ़ने से ईधन की खुदरा बिक्री करने वाली कंपनियों को जमकर नुकसान उठाना पड़ रहा है।

नई दिल्ली, पीटीआइ। कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के बावजूद दाम नहीं बढ़ने से ईधन की खुदरा बिक्री करने वाली कंपनियों को जमकर नुकसान उठाना पड़ रहा है। जियो-बीपी और नायरा एनर्जी जैसी कंपनियों का दावा है कि उन्हें डीजल की बिक्री पर प्रति लीटर 20 से 25 रुपये और पेट्रोल पर 14 से 18 रुपये का नुकसान हो रहा है। कंपनियों ने पेट्रोलियम मंत्रालय को पत्र लिखकर सरकार से एक समान निवेश वातावरण बनाने की मांग की है।

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साथ ही चेतावनी दी है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो ईधन बिक्री के खुदरा कारोबार में निवेश सिमट जाएगा। फेडरेशन आफ इंडियन पेट्रोलियम इंडस्ट्री (एफआईपीआई) ने 10 जून को मंत्रालय को यह पत्र लिखा था। एफआइपीआइ निजी क्षेत्र की कंपनियों के अलावा इंडियन आयल कारपोरेशन (आइओसी), भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन (एचपीसीएल) को अपने सदस्यों में गिनता है।

दरअसल, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल और इसके उत्पादों की कीमतें एक दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं, लेकिन सरकारी ईंधन खुदरा विक्रेताओं ने पेट्रोल और डीजल कीमतों को 'फ्रीज' किया हुआ है। सरकारी कंपनियों का ईंधन खुदरा कारोबार में 90 प्रतिशत का हिस्सा है। इस समय ईंधन के दाम लागत लागत के दो-तिहाई पर ही हैं, जिससे निजी कंपनियों को नुकसान हो रहा है।

इससे जियो-बीपी, रोसनेफ्ट समर्थित नायरा एनर्जी और शेल के समक्ष अस्तित्व का संकट पैदा हो गया है। अगर निजी कंपनियां दाम बढ़ाती हैं तो उन्हें ग्राहकों को खोना पड़ेगा। अगर कंपनियां सरकार द्वारा तय कीमत पर ही ईधन की बिक्री करती हैं तो इससे उनकी बैलेंस शीट प्रभावित होगी।

एफआइपीआइ के महानिदेशक गुरमीत सिंह ने पत्र में लिखा है कि छह अप्रैल से ईंधन के खुदरा दाम नहीं बढ़े हैं। जबकि राज्य परिवहन उपक्रमों जैसे थोक खरीदारों को बेचे जाने वाले ईंधन के दाम में अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अनुरूप वृद्धि हुई है। एफआइपीआइ ने कहा कि इससे बड़ी संख्या में थोक खरीदार खुदरा आउटलेट से खरीद कर रहे हैं जिससे निजी क्षेत्र की कंपनियों का नुकसान और बढ़ रहा है।

बता दें कि पेट्रोल और डीजल के लिए खुदरा बिक्री मूल्य में नवंबर, 2021 की शुरुआत और 21 मार्च, 2022 के बीच कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद रिकार्ड 137 दिन तक कोई वृद्धि नहीं हुई थी। 22 मार्च, 2022 से खुदरा बिक्री मूल्य को 14 मौकों पर प्रतिदिन औसतन 80 पैसे प्रति लीटर की दर से बढ़ाया गया, जिससे पेट्रोल और डीजल दोनों के दामों में 10 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुई। 


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