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Covid-19 ने विनिवेश की राह की मुश्किल, घरेलू व वैश्विक मंदी की वजह से कठिन हुआ लक्ष्य

वित्त मंत्रालय ने जो नया गणित लगाया है उसके हिसाब से इस वर्ष 1.20 लाख करोड़ रुपये की राशि की विनिवेश मद से मिलता दिख रहा है।

By Manish MishraEdited By: Published: Mon, 14 Sep 2020 08:49 AM (IST)Updated: Mon, 14 Sep 2020 08:49 AM (IST)
Covid-19 ने विनिवेश की राह की मुश्किल, घरेलू व वैश्विक मंदी की वजह से कठिन हुआ लक्ष्य
Covid-19 ने विनिवेश की राह की मुश्किल, घरेलू व वैश्विक मंदी की वजह से कठिन हुआ लक्ष्य

जागरण ब्यूरो नई दिल्ली। कोविड ने एक साथ कई मोर्चो पर केंद्र सरकार के लिए राजस्व संग्रह के मोर्चे पर मुसीबत खड़ी कर दी है। एक तरफ आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार सुस्त हो जाने से जीएसटी संग्रह काफी कम हो गया है। दूसरी तरफ घरेलू व वैश्विक मंदी ने मिल कर विनिवेश की राह भी मुश्किल कर दी है। केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान 2.10 लाख करोड़ रुपये की भारी-भरकम राशि विनिवेश से जुटाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन पांच महीनों के अनुभव को देख कर वित्त मंत्रालय ने जो नया गणित लगाया है उसके हिसाब से इस वर्ष 1.20 लाख करोड़ रुपये की राशि की विनिवेश मद से मिलता दिख रहा है और वह भी तब जब अगले दो-तीन महीनों तक वैश्विक इकोनोमी को लेकर स्पष्टता आ जाए।

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वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले दो हफ्तों में बीपीसीएल, शिपिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया में विनिवेश कार्यक्रम को आगे बढ़ाया गया है। इन तीनों कंपनियों में विनिवेश प्रक्रिया को दिसंबर, 2020 तक पूरा होने की उम्मीद है जिससे 75-85 हजार करोड़ रुपये का राजस्व मिल सकती है। इसी तरह से विशेष समिति एयर इंडिया में विनिवेश को लेकर भी लगातार देशी-विदेशी निवेशकों के साथ बैठकें कर रही हैं। हाल ही में इसमें सरकार की हिस्सेदारी खरीदने को इच्छुक कंपनियों के लिए निविदा करने की तारीख दो महीने बढ़ा दी गई है। सरकार को भरोसा है कि एयर इंडिया से भी 25-30 हजार करोड़ रुपये का राजस्व जनवरी-फरवरी, 2021 तक आ सकता है। 

उक्त चारों सरकारी क्षेत्र की नामी गिरामी कंपनियां हैं इसलिए इनके लिए निवेशकों में रुचि बनी हुई है लेकिन दूसरी अन्य कंपनियों को लेकर संशय है। बीपीसीएल और एयर इंडिया के विनिवेश को लेकर सरकार की सकारात्मक सोच के बावजूद जमीनी हकीकत दूसरी दिखाई दे रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतों में भारी अस्थिरता होने और भारत समेत दुनिया के दूसरे देशों में गैर-क्रूड आयल इनर्जी को बढ़ावा देने से बीपीसीएल को लेकर निवेशकों का पहले से कम हुआ है। सरकार इसमें अपनी बड़ी हिस्सेदारी किसी बड़ी अंतरराष्ट्रीय पेट्रोलियम कंपनी को बतौर रणनीतिक साझेदार बेचने को इच्छुक है। 

अंतरराष्ट्रीय क्रूड बाजार की अनिश्चितता बीपीसीएल विनिवेश की राह में सबसे बड़ी बाधा बन कर उभरी है। जबकि एयर इंडिया में चार वर्षो से विनिवेश की कोशिश की जा रही है लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है। शिपिंग कारपोरेशन व कानकोर ही फिलहाल संभव दिख रही हैं। सरकार के विनिवेश कार्यक्रम में भारतीय जीवन बीमा निगम का आइपीओ भी शामिल है। यह सरकार के हाथ में है और हाल ही में इसके लिए सलाहकारों को नियुक्त किया गया है। माना जा रहा है कि दूसरी कंपनियों की सुस्त प्रगति को देखते हुए एलआइसी में केंद्र अपनी हिस्सेदारी 25 फीसद तक बेचने की संभावना पर विमर्श कर रही है। इसके लिए एलआइसी कानून में महत्वपूर्ण संशोधन करना होगा।


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