कोरोना वायरस के प्रभाव के चलते बैंक खुदरा ऋणों को लेकर बरतेंगे सावधानी: Report
होम और ऑटो लोन जैसे सुरक्षित लोन्स के लिए एसेट क्वालिटी क्रेडिट कार्ड व पर्सनल लोन्स जैसे असुरक्षित लोन्स की तुलना में अच्छी होगी।
नई दिल्ली, पीटीआइ। कोरोना वायरस संकट से भारत में कर्जदाताओं के लिए रिटेल लोन्स पर कई सारी दिक्कतें सामने आ रही हैं। क्रेडिट इनफॉर्मेशन कंपनी ट्रांसयूनियन सिबिल ने कहा कि पर्सनल लोन्स और क्रेडिट कार्ड लोन की मांग के बावजूद कर्जदाता एसेट क्वालिटी की चिंताओं के चलते इन सेगमेंट्स से दूर रह रहे हैं। कंपनी ने कहा कि कर्जदाता कम-जोखिम वाले होम लोन सेगमेंट को प्राथमिकता देंगे। लेकिन कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते घर खरीदना दूभर हो गया है और इस कारण इन ऋणों की मांग में कमी आ रही है।
सीआईसी ने निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले साल 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के आकंड़ों का विश्लेषण किया और व्यापक आर्थिक संख्या का अनुमान लगाया। इसके उपाध्यक्ष (अनुसंधान व परामर्श) अभय केलकर ने कहा, 'भारत सरकार द्वारा दुनिया के सबसे बड़े आर्थिक पैकेजों में से एक को लॉन्च करने के बावजूद कोरोना वायरस का सामाजिक, वित्तीय और आर्थिक प्रभाव काफी अधिक है और इसका अहसास खुदरा ऋण बाजार को भी होगा।'
सीआईसी का अध्ययन बताता है कि ग्राहकों की वित्तीय स्थिति में नाटकीय रूप से बदलाव आया है। कई लोगों की सैलरी में कटौती हुई है, तो कईयों की नौकरी जा चुकी है। वहीं, उपभोक्ता भावना में तेजी गिरावट आई है, जिसने खपत मांग और खर्च को बुरी तरह प्रभावित किया है। कंपनी ने कहा, 'मौजूदा संकट का आर्थिक प्रभाव रिटेल क्रेडिट ग्रोथ और एसेट क्वालिटी के भविष्य के अनुमान पर महत्वपूर्ण असर डालेगा।'
कंपनी ने कहा कि कोरोना वायरस प्रकोप के कारण एसेट क्वालिटी पर पड़ने वाला प्रभाव काफी जटिल होने वाला है। असुरक्षित ऋणों की एसेट क्वालिटी और अधिक बुरी तरह प्रभावित होगी। कंपनी ने आगे कहा कि मोरैटोरियम अवधि के खत्म होने के बाद कुछ ग्राहकों की अपने लोन चुकाने की अक्षमता उनके स्कोर को प्रभावित करेगी और इसके परिणामस्वरूप डिफॉल्ट होने की संभावना में भी तेजी देखी जा सकती है।
कंपनी ने कहा कि होम और ऑटो लोन जैसे सुरक्षित लोन्स के लिए एसेट क्वालिटी क्रेडिट कार्ड व पर्सनल लोन्स जैसे असुरक्षित लोन्स की तुलना में अच्छी होगी।