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तेरह महीनों बाद इकाई अंक में खुदरा महंगाई

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। थोक मूल्य सूचकांक के बाद अब खुदरा महंगाई की दर में भी नरमी के संकेत मिलने लगे हैं। सरकार के ताजा आंकड़ों के मुताबिक खुदरा मूल्य आधारित महंगाई की दर अप्रैल, 2013 में पिछले 13 महीनों के न्यूनतम स्तर

By Edited By: Published: Mon, 13 May 2013 09:37 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
तेरह महीनों बाद इकाई अंक में खुदरा महंगाई

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। थोक मूल्य सूचकांक के बाद अब खुदरा महंगाई की दर में भी नरमी के संकेत मिलने लगे हैं। सरकार के ताजा आंकड़ों के मुताबिक खुदरा मूल्य आधारित महंगाई की दर अप्रैल, 2013 में पिछले 13 महीनों के न्यूनतम स्तर 9.39 फीसद पर आ गई है। मार्च, 2013 में यह दर 10.39 फीसद थी। जानकारों का कहना है कि इससे आगे ब्याज दरों में और कमी का रास्ता साफ हो सकता है।

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केंद्रीय सांख्यिकी संगठन की तरफ से सोमवार को जारी आंकड़े आने वाले दिनों में महंगाई दर के स्थिर रहने के संकेत देते हैं। अभी तक थोक महंगाई की दर में नरमी के बावजूद खुदरा महंगाई लगातार 10 फीसद से उपर बनी हुई थी। इसके लिए प्रोटीन उत्पादों [दूध, अंडा, मांस, मछली, दाल आदि] की कीमतों में वृद्धि को सबसे प्रमुख वजह माना जा रहा था। ताजा आंकड़ों के मुताबिक दूध व दूध से बने अन्य उत्पादों, मांस-मछली, अंडा आदि की खुदरा कीमतों में वृद्धि की रफ्तार अप्रैल में कम हुई है। अमूमन इस मौसम में इनकी कीमतों में तेजी का रुख रहता है। इससे पता चलता है कि प्रोटीन उत्पादों की आपूर्ति बढ़ाने की कोशिश अब असर दिखाने लगी है।

अप्रैल में फल-सब्जियों की खुदरा कीमतों में क्रमश: आठ फीसद और साढ़े पांच फीसद की वृद्धि हुई है। दूध व दूध के बने अन्य उत्पादों में महंगाई की दर सात फीसद से थोड़ी ज्यादा रही है। दालों की कीमत में लगभग 11 फीसद और अंडा-मांस-मछली के वर्ग में यह वृद्धि दर 13.60 फीसद की रही है। रिजंर्व बैंक काफी दिनों से इन उत्पादों की आपूर्ति पर ध्यान देने की सलाह सरकार को देता रहा है ताकि महंगाई को काबू करने में आसानी हो।

बहरहाल, अंतरराष्ट्रीय वित्त सलाहकार एजेंसी नोमुरा ने कहा है कि थोक के बाद अब खुदरा महंगाई में कमी से ब्याज दरों में आधा फीसद कमी की उम्मीद की जा सकती है। इस महीने की शुरुआत में वार्षिक मौद्रिक नीति पेश करते हुए आरबीआइ गवर्नर डी. सुब्बाराव ने भी कहा था कि खुदरा कीमतों में नरमी के बाद ब्याज दरों में और कटौती की संभावना बनेगी।


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