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कंपनसेशन सेस का सुस्त कलेक्शन बढ़ा रहा राज्यों को भुगतान का संकट, 63,200 करोड़ का अंतर रहने का अनुमान

कंपनसेशन कलेक्शन की फ्लैट ग्रोथ से आ रही दिक्कत चालू वित्त वर्ष में 63200 करोड़ रुपये का अंतर रहने का है अनुमान

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Tue, 24 Dec 2019 09:36 AM (IST)Updated: Tue, 24 Dec 2019 09:37 AM (IST)
कंपनसेशन सेस का सुस्त कलेक्शन बढ़ा रहा राज्यों को भुगतान का संकट, 63,200 करोड़ का अंतर रहने का अनुमान
कंपनसेशन सेस का सुस्त कलेक्शन बढ़ा रहा राज्यों को भुगतान का संकट, 63,200 करोड़ का अंतर रहने का अनुमान

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। जीएसटी के तहत राज्यों को रेवेन्यू की क्षतिपूर्ति यानी कंपनसेशन के लिए बाकी बचे दो वर्ष केंद्र सरकार की परेशानी का सबब बने रहेंगे। जीएसटी काउंसिल के अनुमानों के मुताबिक साल 2018-19 के बाद से ही कंपनसेशन सेस के कलेक्शन और राज्यों को होने वाले भुगतान की राशि का अंतर बढ़ रहा है। कंपनसेशन सेस के कलेक्शन और भुगतान की राशि की आवश्यकता के काउंसिल के अनुमान के मुताबिक, 2021-22 में अगर कलेक्शन में वृद्धि की दर पांच परसेंट रही तो भुगतान और कलेक्शन के बीच का अंतर 201950 करोड़ रुपये बना रह सकता है।

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चालू वित्त वर्ष में ही यह अंतर 63200 करोड़ रुपये का रहने का अनुमान है।सूत्रों के मुताबिक काउंसिल ने कंपनसेशन सेस कलेक्शन में वृद्धि के तीन परिदृश्यों का अनुमान लगाया है। इन्हीं तीन परिदृश्यों पर गत 18 दिसंबर को जीएसटी काउंसिल की बैठक में चर्चा भी हुई। दरअसल जीएसटी के मद में 2018-19 को छोड़ दिया जाए तो बाकी जीएसटी लागू होने के बाद के सभी वर्षो में कंपनसेशन सेस का कलेक्शन लगभग फ्लैट रहा है।

चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर की अवधि में जीएसटी में 805166 करोड़ रुपये का कलेक्शन प्राप्त हुआ है। पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले इसमें 3.7 परसेंट की वृद्धि हुई है। इसमें घरेलू जीएसटी के मद में 556938 करोड़ रुपये का संग्रह हुआ जो पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 8.3 परसेंट अधिक रहा। जबकि घरेलू जीएसटी पर कंपनसेशन सेस का कलेक्शन 57637 करोड़ रुपये का हुआ। इसमें वृद्धि की दर मात्र 0.3 परसेंट रही। जबकि आइजीएसटी में कंपनसेशन सेस का कलेक्शन 6891 करोड़ रुपये हुआ जो बीते साल की इस अवधि के मुकाबले 5.3 परसेंट अधिक है।

काउंसिल ने चालू वित्त वर्ष के लिए 160000 करोड़ रुपये के कंपनसेशन का अनुमान लगाया है। जबकि कंपनसेशन सेस से केवल 96800 करोड़ रुपये की राशि मिलने का अनुमान है। वैसे सरकार करीब एक लाख करोड़ रुपये कंपनसेशन के मद में राज्यों को भुगतान कर चुकी है।

सूत्रों के मुताबिक काउंसिल ने वित्त वर्ष 2020-21 और वित्त वर्ष 2021-22 के लिए कंपनसेशन सेस के कलेक्शन और भुगतान में 5, 8 और 10 परसेंट की दर से वृद्धि के अनुमान पर विचार किया। इन तीनों परिदृश्यों के तहत अगर कंपनसेशन सेस के कलेक्शन और भुगतान की राशि में पांच परसेंट की ग्रोथ होती है तो जीएसटी के तहत सरकार को 101640 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त होगी। जबकि इस अनुमान के हिसाब से केंद्र को राज्यों को 228400 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा।

अगर वृद्धि की दर 8 परसेंट रहती है तो कलेक्शन की राशि 104540 करोड़ रुपये रहेगी जबकि राज्यों को 213065 करोड़ रुपये के भुगतान का अनुमान लगाया गया है। इसी तरह जीएसटी कलेक्शन में अगर 10 परसेंट की दर से वृद्धि होती है तो केंद्र को 106480 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे। लेकिन इस दर पर राज्यों को 202840 करोड़ रुपये कंपनसेशन के तौर पर भुगतान करने के लिए आवश्यकता होगी।

इसी परिदृश्य के आधार पर वित्त वर्ष 2021-22 में पांच परसेंट के ग्रोथ पर सरकार को 106720 करोड़ रुपये का कंपनसेशन सेस प्राप्त होगा। लेकिन राज्यों को इस मद में देने के लिए 308670 करोड़ रुपये की राशि की दरकार होगी। इसके विपरीत कलेक्शन में 8 परसेंट की वृद्धि पर सरकार को 112910 करोड़ रुपये की राशि मिलेगी। किंतु राज्यों को कंपनसेशन के भुगतान के लिए केंद्र को 276010 करोड़ राशि की आवश्यकता होगी।

जबकि अगर कंपनसेशन सेस के कलेक्शन में 10 परसेंट की दर से ग्रोथ होती है तो केंद्र के खाते में 117130 करोड़ रुपये की राशि मिलेगी। इस आधार पर राज्यों को देने के लिए 253730 करोड़ रुपये की राशि की आवश्यकता होगी।


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