मिलता-जुलता नाम रख फर्जीवाड़ा नहीं कर सकेंगी कंपनियां; जानिए पूरा ब्योरा
कारोबारी जगत की गलाकाट प्रतिस्पर्धा के बीच धन कमाने के लिए कई बार कंपनियां किसी अन्य मशहूर कंपनी से मिलता-जुलता नाम रखकर ग्राहकों को भ्रमित कर अपने उत्पाद बेचती हैं। इससे वास्तविक कंपनी के कारोबार पर असर पड़ता है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। कारोबारी जगत की गलाकाट प्रतिस्पर्धा के बीच धन कमाने के लिए कई बार कंपनियां किसी अन्य मशहूर कंपनी से मिलता-जुलता नाम रखकर ग्राहकों को भ्रमित कर अपने उत्पाद बेचती हैं। इससे वास्तविक कंपनी के कारोबार पर असर पड़ता है और जान-बूझकर मिलता जुलता नाम रखने वाली कंपनियां बिना खास प्रयास किए ही कमाई करती रहती हैं। कारपोरेट अफेयर मंत्रालय ने अब इन कंपनियों पर कार्रवाई करने का अधिकार सीधे रजिस्ट्रार आफ कंपनीज को दे दिया है। वे तीन माह का समय देने के बाद इन कंपनियों का नाम खुद बदल देंगे।
मिलते-जुलते नाम या ट्रेडमार्क का इस्तेमाल करने की शिकायत आने पर अभी तक कारपोरेट अफेयर मंत्रालय ऐसी कंपनियों को नाम बदलने के लिए छह माह का समय देता था।
छह माह में भी ऐसा नहीं करने पर उसके खिलाफ जिला अदालत में अभियोजन दाखिल किया जाता था। लेकिन इस प्रक्रिया में निर्णय आने में कई वर्ष लग जाते थे। इस बीच कंपनी आराम से कमाई करती रहती थी, जबकि मुख्य कंपनी परेशान होती थी। अब मंत्रालय ने नियमों में परिवर्तन कर दिया है। हाल ही में जारी अधिसूचना के अनुसार अब मंत्रालय खुद या किसी शिकायत पर तीन माह में नाम बदलने का निर्देश देगा।
नाम नहीं बदलने पर रजिस्ट्रार आफ कंपनीज खुद उस कंपनी का नाम बदल देंगे। कंपनी का जो कारपोरेट आइडेंटिफिकेशन नंबर होगा, उसे उस कंपनी का नाम बना दिया जाएगा। इसके बाद यह उस कंपनी पर निर्भर करेगा कि वह उसी कारपोरेट आइडेंटिफिकेशन के नाम से संचालन करे या किसी अन्य नाम से पंजीकरण कराए। नंबर से काम करे या बदल कर कोई दूसरा नाम पंजीकृत कराए। इस बारे में आइसीएसआइ के कानपुर चेप्टर के पूर्व चेयरमैन गोपेश साहू ने कहा कि कारपोरेट मामलों के मंत्रालय का यह बहुत ही अच्छा निर्णय है। अब तीन माह में ही मिलता-जुलता नाम या ट्रेडमार्क रखकर काम करने वाली कंपनियों पर कार्रवाई हो जाएगी।