Relief from Inflation: महंगाई से मिल सकती है राहत, कच्चे तेल से लेकर पाम तेल तक के अंतरराष्ट्रीय दाम में गिरावट
आरबीआइ का मानना है कि अगर क्रूड की कीमत 105 डालर प्रति बैरल तक स्थिर रही तो पूरे वित्त वर्ष में महंगाई दर घटकर 6.7 प्रतिशत रहेगी। कच्चे तेल का दाम घटने से पेट्रोलियम उत्पाद से जुड़े वस्तुओं की कीमतों में कमी आएगी।
राजीव कुमार, नई दिल्ली : आने वाले समय में महंगाई से राहत मिल सकती है, क्योंकि कच्चे तेल से लेकर पाम तेल के अंतरराष्ट्रीय दाम में गिरावट का दौर शुरू हो चुका है। औद्योगिक जिंसों की कीमतों में पहले से ही गिरावट हो रही है। कच्चे तेल के दाम में गिरावट के रुख से भारत का आयात बिल भी कम होगा और इससे चालू खाते के घाटे को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। इस साल मई में खुदरा महंगाई दर 7.04 प्रतिशत रही जबकि अप्रैल में खुदरा महंगाई दर 7.78 प्रतिशत दर्ज की गई थी। जबकि आरबीआइ का मानना है कि अगर क्रूड की कीमत 105 डालर प्रति बैरल तक स्थिर रही तो पूरे वित्त वर्ष में महंगाई दर घटकर 6.7 प्रतिशत रहेगी।
कच्चे तेल का दाम घटने से पेट्रोलियम उत्पाद से जुड़े वस्तुओं की कीमतों में कमी आएगी और खुदरा बाजार में पेट्रोल व डीजल के दाम भी कम होंगे। इससे माल ढुलाई का खर्च कम होगा, जिससे खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतें काबू में रहेंगी और ट्रांसपोर्टेशन पर होने वाले खर्च भी कम होंगे। पाम आयल के दाम कम होने से भारत में खाद्य तेल की कीमतें कम होंगी। भारत अपनी जरूरत का 85 प्रतिशत कच्चे तेल का आयात करता है तो 65 प्रतिशत खाद्य तेल की जरूरत की पूर्ति आयात से होती है। आयात में सबसे अधिक हिस्सेदारी पाम आयल की है।
पिछले एक माह में कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय दाम में 11.5 प्रतिशत तो पाम आयल के दाम में 37 प्रतिशत तक की गिरावट हो चुकी है। पाम आयल सस्ता होने से खुदरा महंगाई दर में 4.7 का भार रखने वाले खाद्य तेल की कीमत और कम हो सकती है और बिस्कुट, पेस्ट जैसी कई घरेलू चीजें भी आने वाले महीनों सस्ती हो सकती है। इन सब वस्तुओं के उत्पादन में पाम आयल का इस्तेमाल होता है और एफएमसीजी कंपनियां भारी मात्रा में पाम आयल की खरीदारी करती हैं।
घरेलू स्तर पर लगातार कम हो रहे स्टील के दाम
कच्चे तेल के दाम बुधवार को 104 डालर प्रति बैरल से कम के स्तर पर आ गया और पिछले एक सप्ताह में इसमें सात प्रतिशत से अधिक तो पिछले एक माह में 11.5 प्रतिशत की गिरावट आई है। एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार तो आने वाले समय में यह 65 डालर तक पहुंच सकती है। औद्योगिक जिंस जैसे कि स्टील, तांबा, एल्यूमिनियम, शीशा, ¨जक, लौह अयस्क के दाम में पिछले एक माह में 20 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है। सरकार की तरफ से स्टील के निर्यात पर शुल्क लगाने से घरेलू स्तर पर स्टील के दाम लगातार कम हो रहे हैं।
कैसे फर्क पड़ेगा चालू खाते के घाटे पर
भारत के आयात में 30 प्रतिशत की हिस्सेदारी पेट्रोलियम पदार्थों की हैं। कच्चे तेल के दाम कम होने से भारत का आयात बिल कम हो जाएगा और विदेशी मुद्रा का भंडार बचेगा। चालू वित्त वर्ष 2022-23 के पहले तीन महीनों में भारत ने 187 अरब डालर का आयात किया और इनमें 61 अरब डालर का आयात पेट्रोलियम पदार्थों का रहा। कोयले के अंतरराष्ट्रीय दाम में कमी आई है जिससे आयात बिल पर फर्क पड़ेगा। विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत होने से डालर के मुकाबले रुपया भी मजबूत होगा।
पिछले एक माह में किन पदार्थो की कीमतें कितनी हुई कम
कच्चा तेल (ब्रेंट) - 11.5 प्रतिशत
कोयला - 4.5 प्रतिशत
पाम आयल - 37 प्रतिशत
स्टील - 8.87 प्रतिशत
कापर - 22 प्रतिशत
लौह अयस्क - 21.03 प्रतिशत
चांदी - 13 प्रतिशत
जिंक - 20.98 प्रतिशत
निकल - 23.78 प्रतिशत