एटीएफ को जीएसटी के दायरे में लाने पर वित्त मंत्रालय से बात करेगा नागर विमानन मंत्रालय
अगर विमान ईंधन (एटीएफ) को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट के रुप में सालाना 5,000 करोड़ रुपये की राहत मिल सकती है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) को जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) कर व्यवस्था के दायरे में लाने को लेकर विमानन कंपनियों की बढ़ती मांग के बीच नागर विमानन सचिव आर एन चौबे ने कहा है कि वो इस मामले को वित्त मंत्रालय के समक्ष उठाएंगे, क्योंकि जेट फ्यूल की कीमतें जनवरी 2017 के बाद से अब तक 40 फीसद तक बढ़ चुकी हैं।
उन्होंने बताया, “अगर एटीएफ को जीएसटी के अंतर्गत लाया जाता है तो हमें इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलेगा।” साथ ही चौबे ने यह भी कहा कि वो इस संबंध में राजस्व सचिव हसमुख अधिया से मुलाकात करेंगे। चौबे ने यहां पर बंकर ऑयल का भी उदाहरण दिया, जिसे ऑयल बास्केट से निकालकर जीएसटी के दायरे में लाया गया है।
अगर विमान ईंधन (एटीएफ) को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट के रुप में सालाना 5,000 करोड़ रुपये की राहत मिल सकती है। यह कदम जेट फ्यूल की बढ़ती कीमतों के बीच विमानन कंपनियों के लिए एक बड़ी राहत होगा, वहीं इससे ग्राहकों को भी राहत मिलने की उम्मीद बढ़ जाएगी।
विमानन कंपनियों की ओर से बीते हफ्ते किए गए एक प्रजेंटेशन में यह माना गया है कि केंद्र वर्तमान में एटीएफ से जो कुछ भी प्राप्त करता है उससे ज्यादा कमा सकता है। वहीं फ्लाइट के भीतर वाई-फाई कनेक्शन के बारे में बात करते हुए जिसके लिए टेलिकॉम कमीशन हाल ही में मंजूरी दे चुका है, नागर विमानन सचिव ने कहा कि डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम लाइसेंसिंग से जुड़े नियम व शर्तों का मसौदा जल्द पूरा कर लेगा।