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छपे नए नोटों की जानकारी दी जाए: सीआइसी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर 2016 को 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट अवैध घोषित करके 2000 और 500 रुपये के नए नोट जारी किए थे

By Praveen DwivediEdited By: Published: Tue, 18 Dec 2018 08:48 AM (IST)Updated: Tue, 18 Dec 2018 09:02 AM (IST)
छपे नए नोटों की जानकारी दी जाए: सीआइसी
छपे नए नोटों की जानकारी दी जाए: सीआइसी

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। केंद्रीय सूचना आयोग ने कहा है कि नोटबंदी के बाद छापे गए 2000 और 500 रुपये के नोटों के बारे में जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक की नोट प्रिंटिंग सब्सिडियरी यह बताने में नाकाम रही कि इस जानकारी को सार्वजनिक करने से देश के आर्थिक हित कैसे प्रभावित हो सकते हैं।

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नए नोटों की प्रिटिंग के संबंध में जानकारी मांगने वाले एक आरटीआइ आवेदन पर आरबीआइ की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी भारतीय रिजर्व बैंक मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड ने दावा किया कि करेंसी की छपाई और उससे संबंधित जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती है क्योंकि इससे देश में नकली नोटों का प्रसार बढ़ सकता है और आर्थिक अस्थिरता आ सकती है।

इस मामले पर सूचना आयुक्त सुधीर भार्गव ने सुनवाई की। प्रिंटिग कंपनी के जवाब से असंतुष्ट हरिंदर ढींगरा ने केंद्रीय सूचना आयुक्त के समक्ष अपील की थी। उन्होंने 9 नवंबर से 30 नवंबर 2016 तक आरबीआइ द्वारा छापे गए 2000 और 500 रुपये के नोटों की जानकारी मांगी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर 2016 को 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट अवैध घोषित करके 2000 और 500 रुपये के नए नोट जारी किए थे। अनायास नोटबंदी की घोषणा से एटीएम खाली हो गए थे।

आरबीआइ की प्रिंटिंग कंपनी ने सुनवाई के दौरान भार्गव को बताया कि नोट प्रिंटिंग और उससे जुड़ी जानकारी सबसे ज्यादा गोपनीय है। नोट के फीचर, कच्चा माल, प्रिंटिंग, स्टॉकिंग, परिवहन आदि की जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती है क्योंकि इससे नकली नोटों का प्रचलन बढ़ने और आर्थिक अस्थिरता पैदा होने का खतरा हो सकता है। इस वजह से यह जानकारी आरटीआइ एक्ट के सेक्शन 8(1)(ए) के तहत गोपनीय रखी जा सकती है।

लेकिन भार्गव ने यह तर्क खारिज करते हुए कहा कि रोजाना छापे गए नोटों की जानकारी इतनी संवेदनशील नहीं है कि उसे इस सेक्शन में गोपनीय माना जाए। इस सूचना को सार्वजनिक करने से गोपनीय जानकारी खुलने का भी कोई खतरा भी नहीं है।


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