भारत के साथ चीन कस्टम डाटा शेयर करने को राजी नहीं, निर्यात घोषणा को अनिवार्य करने पर ही रुकेगा चीन से अंडरबिलिंग
विशेषज्ञों के मुताबिक चीन के 100 रुपए के माल को भारत में 60 रुपए का माल बताकर लाने पर तभी रोक लगाई जा सकती है जब निर्यात घोषणा को अनिवार्य किया जाएगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार आगामी 31 अक्टूबर तक आयात के फेसलेस मूल्यांकन शुरू करने का दावा जरूर कर रही है, लेकिन इससे चीन से अंडरबिलिंग के तहत आने वाले माल पर रोक नहीं लगाई जा सकेगी। विशेषज्ञों के मुताबिक चीन के 100 रुपए के माल को भारत में 60 रुपए का माल बताकर लाने पर तभी रोक लगाई जा सकती है जब निर्यात घोषणा को अनिवार्य किया जाएगा। सरकार चीन के साथ कस्टम डाटा शेयर करने की कोशिश कर चुकी है, लेकिन चीन अपने कस्टम डाटा शेयर करने को राजी नहीं है।
कस्टम विशेषज्ञों के मुताबिक अगर कोई भारतीय चीन के किसी विक्रेता से माल खरीदता है, इसका मतलब यह हुआ कि चीन के उस विक्रेता ने भारत के खरीदार को निर्यात किया। भारत में उस माल को लाने के दौरान चीन के उस निर्यातक के घोषणा पत्र को पेश करना होगा कि उस निर्यातक ने भारतीय आयातक को इस राशि में अपना माल बेचा है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस प्रकार के सर्टिफिकेट से किसी प्रकार का संदेह होने पर भारत का कस्टम विभाग चीन के कस्टम विभाग से कंफर्म कर सकेगा।
कस्टम विशेषज्ञ एवं सीए मनीष गुप्ता ने बताया कि जैसे एक-दूसरे देश के पासपोर्ट कार्यालय आपस में जुड़े हैं और किसी विदेशी के पासपोर्ट को लेकर शक पैदा होने पर उस देश से तुरंत उसकी जांच कर ली जाती है। वैसे ही भारतीय कस्टम ने चीन के साथ कस्टम डाटा शेयर करने की गुजारिश की थी, लेकिन चीन ने अपने कस्टम कार्यालय को लिंक करने से मना कर दिया।
विशेषज्ञों के मुताबिक आयातित वस्तु के क्लीयरेंस के दौरान दो प्रकार की जांच होती है। एक जांच आयातित वस्तुओं के शुल्क की होती है कि आयात होने वाली वस्तु पर शुल्क सही लगाया गया है या नहीं या इससे जुड़े दस्तावेज में कोई गड़बड़ी तो नहीं है। दूसरी जांच आयातित वस्तु की होती है।
मान लीजिए किसी ने दस्तावेज में किताब का आयात दिखा रखा है, लेकिन किताब की जगह अश्लील किताब का आयात किया गया जिस पर शुल्क अलग है या जो प्रतिबंधित है। विशेषज्ञों ने बताया कि आगामी 31 अक्टूबर तक सिर्फ शुल्क संबंधी जांच पूरी तरह से फेसलेस होगी। इसका फायदा यह होगा कि आयातकों को दस्तावेज संबंधी काम के लिए अधिकारी के पास नहीं आना होगा और कंटेनर भी पहले के मुकाबले कम समय में पास हो जाएगा। लेकिन वस्तु की जांच फिजिकल होगी। वस्तु की जांच फेसलेस करने के लिए इसकी वीडियोग्राफी करानी होगी और उसे अपलोड करके वर्चुअल तरीके से आयातक से सवाल-जवाब करना होगा।