New Norms For E-tailers: ग्राहकों से धोखाधड़ी करने वालों की अब खैर नहीं, घटिया सामान बेचने वाले जाएंगे जेल
New Norms For E-tailers उपभोक्ता हित संरक्षण के लिए सख्त कानून सोमवार से लागू हो गया है। बदलते जमाने के हिसाब से कारोबार के तौर तरीके में भी बदलाव आया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी करने वालों की अब खैर नहीं होगी। उपभोक्ता हित संरक्षण के लिए सख्त कानून सोमवार से लागू हो गया है। बदलते जमाने के हिसाब से कारोबार के तौर तरीके में भी बदलाव आया है। इसी के मद्देनजर नए कानून में ई-कॉमर्स पर सख्ती से शिकंजा कसा गया है। इस बाबत अधिसूचित रेगुलेशन में इतने प्रावधान किए गए हैं कि घर बैठे अपनी जरूरत के सामान खरीदने वाले उपभोक्ताओं के साथ ठगी करना आसान नहीं होगा। केंद्रीय उपभोक्ता मामले व खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने सोमवार को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019 की विस्तार से जानकारी देने के लिए वर्चुअल प्रेसवार्ता को संबोधित किया।
उन्होंने बताया कि नए कानून के साथ जारी नियमावली में सभी प्रावधानों का विस्तार से जिक्र किया गया है। इसमें उन उपभोक्ताओं को भी कानूनी दायरे में लिया गया है जो झूठी शिकायतें करने के आदी होते हैं। ऐसे लोग भी बख्शे नहीं जाएंगे। झूठी शिकायत करने वालों पर 50 हजार रुपये तक का जुर्माना किया जा सकता है। उपभोक्ता अपनी शिकायतें एसएमएस, वाट्सएप के अलावा कंज्यूमर एप पर कर सकते हैं। अपनी शिकायतों की पैरवी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से भी कर सकते हैं।
ई-कॉमर्स के लिए तैयार रूल और रेगुलेशन अनिवार्य होंगे, जिनका उल्लंघन करने पर दंडात्मक कार्यवाही जा सकती है। ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ संबंधित प्लेटफॉर्म को भी कानूनी दायरे में लिया गया है। विक्रेता कंपनी को 48 घंटे के भीतर उपभोक्ता की शिकायत स्वीकार कर एक महीने के अंदर निवारण करना होगा। उत्पाद की वापसी, धन की वापसी, वारंटी और गारंटी शिपमेंट, भुगतान के तरीके, शिकायत निवारण तंत्र व भुगतान माध्यमों की सुरक्षा का स्पष्ट जानकारी देनी होगी। विक्रेता को बिक्री के लिए मूल देश सहित वस्तुओं और सेवाओं से संबंधित सभी प्रासंगिक विवरण देने होंगे, ताकि उपभोक्ता को उत्पाद खरीदने से पूर्व सोच समझकर फैसला लेने में सहूलियत हो।
पासवान ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान जहां ई-कॉमर्स से कारोबार बढ़ने के साथ ही शिकायतों का अंबार भी लग गया। इस बारे में सभी राज्यों को पत्र भेजकर उपभोक्ता हितों को संरक्षित करने की अपील की गई है। राज्यों में जिला उपभोक्ता अदालतों के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए पांच हजार वर्ग फुट पक्का निर्माण के लिए ढाई हजार रुपये प्रति वर्गफुट के हिसाब से वित्तीय मदद दी जा रही है। इन अदालतों में अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्तियों के लिए भी विशेष प्रावधान किए गए हैं।