Move to Jagran APP

सस्ते आयातित खाद्य तेलों ने घरेलू तिलहन खेती को किया चौपट, उपभोक्ताओं की जेब और स्वास्थ्य के साथ हो रहा खिलवाड़

देश में तिलहन की घटती पैदावार और खाद्य तेलों की बढ़ती मांग के चलते सालाना कुल जरूरतों का लगभग 60 फीसद से भी अधिक आयात करना पड़ता है।

By Manish MishraEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 07:37 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 07:39 AM (IST)
सस्ते आयातित खाद्य तेलों ने घरेलू तिलहन खेती को किया चौपट, उपभोक्ताओं की जेब और स्वास्थ्य के साथ हो रहा खिलवाड़
सस्ते आयातित खाद्य तेलों ने घरेलू तिलहन खेती को किया चौपट, उपभोक्ताओं की जेब और स्वास्थ्य के साथ हो रहा खिलवाड़

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। आयातित खाद्य तेलों पर निर्भरता घटाने के लिए सरकार तिलहन की खेती को प्रोत्साहन दे रही है। लेकिन सरसों, सोयाबीन और नारियल तेल में मिलावट ने सारा समीकरण बिगाड़कर रख दिया है। इससे एक तरफ घरेलू बाजार में सस्ते आयातित खाद्य तेलों की भरपूर आपूर्ति है, वहीं दूसरी तरफ उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है। खाद्य तेलों में मिलावटी कारोबार पर काबू पाने के लिए गठित अंतर मंत्रालयी समिति ने गंभीर चिंता जताई है। समिति ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को इसके प्रति आगाह करते हुए सख्ती से पेश आने को कहा है। बाजारों में खाद्य तेलों की बिक्री बिना पैकिंग के खुलेआम हो रही है, जबकि इस तरह की बिक्री पर सख्त प्रतिबंध है। 

loksabha election banner

देश में तिलहन की घटती पैदावार और खाद्य तेलों की बढ़ती मांग के चलते सालाना कुल जरूरतों का लगभग 60 फीसद से भी अधिक आयात करना पड़ता है। आयातित सस्ते पाम ऑयल को सरसों, सोयाबीन और नारियल तेलों में बेहिसाब मिलाकर बेचा जा रहा है। खाद्य तेलों में मिलावट रोकने अथवा इसके नियमन के लिए विभिन्न तेलों में मिलाए जाने वाले तत्वों का एक फॉर्मूला तैयार किया गया है। 

इस फॉर्मूले के हिसाब से सौ फीसद शुद्ध सरसों तेल में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक होती है, जिसके लिए उसमें राइसब्रान और पाम ऑयल जैसे तेलों की एक निर्धारित मात्रा मिलाने की छूट है। यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। लेकिन इसी प्राविधान की आड़ में सरसों तेल के नाम पर खुलेआम आयातित सस्ता पाम ऑयल महंगे में बेचा जा रहा है। 

भारतीय सरसों अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉक्टर पीके राय का कहना है इसी प्राविधान के चलते सरसों की खेती बुरी तरह प्रभावित हो रही है। सरसों का तेल न्यूनतम सेचुरेटेड फैट वाला होता है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहतर है। घरेलू जरूरतों के लिए सालाना 1.5 करोड़ टन खाद्य तेलों का आयात होता है। इसमें अकेले पाम ऑयल की हिस्सेदारी 90 लाख टन की है। वहीं 25-25 लाख टन सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल का आयात होता है। बाकी 10 लाख टन में अन्य तेलों की हिस्सेदारी है। इंडोनेशिया व मलेशिया से पाम ऑयल मंगाया जाता है। वहीं, सूरजमूखी तेल का आयात मुख्य रूप से अर्जेंटीना, ब्राजील, यूक्रेन और रूस से होता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.