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ममता-मुलायम का विरोध दरकिनार

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। आयातित कोयले को घरेलू में मिलाकर उसकी कीमत तय करने [कोल पूल प्राइसिंग] की योजना को लेकर ममता बनर्जी और मुलायम सिंह यादव के विरोध को केंद्र ने दरकिनार कर दिया है। बिजली मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि कोल पूल प्राइसिंग पूरे देश के हित को ध्यान में रख कर तैयार किया जा रहा है। पश्चिम बं

By Edited By: Published: Tue, 19 Feb 2013 09:19 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
ममता-मुलायम का विरोध दरकिनार

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। आयातित कोयले को घरेलू में मिलाकर उसकी कीमत तय करने [कोल पूल प्राइसिंग] की योजना को लेकर ममता बनर्जी और मुलायम सिंह यादव के विरोध को केंद्र ने दरकिनार कर दिया है। बिजली मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि कोल पूल प्राइसिंग पूरे देश के हित को ध्यान में रख कर तैयार किया जा रहा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता और सपा सुप्रीमो मुलायम इस योजना के खिलाफ लामबंदी कर रहे थे।

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मंगलवार को यहां अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में सिंधिया ने कहा, 'आयातित व घरेलू कोयले को मिलाकर उनकी कीमत तय करने का फार्मूला पूरे देश के हित में बनाया जा रहा है। इसमें पूरी कोशिश की जाएगी कि सभी राज्यों के साथ एक समान व्यवहार हो। इसके बावजूद सभी राज्यों को संतुष्ट नहीं किया जा सकता। इसका मकसद पावर प्लांटों को ज्यादा से ज्यादा कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित करना है ताकि बिजली उत्पादन बढ़ाया जा सके। इसके लिए विस्तृत व अंतिम नीति बनाने के लिए बिजली, कोयला और वित्त मंत्रालय गंभीरता से काम कर रहे हैं।'

पिछले दिनों बिजली मंत्रालय के इस बारे में प्रस्ताव पर कैबिनेट की मंजूरी भी मिल गई। लेकिन पिछले दो दिनों के भीतर पश्चिम बंगाल सरकार ने इसका खुलेआम विरोध कर दिया है। वहीं, मुलायम ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इससे निजी क्षेत्र को लाभ पहुंचाने का आरोप जड़ दिया है। उड़ीसा और मध्य प्रदेश पहले ही इसका विरोध कर चुके हैं। देश की सबसे बड़ी कोयला कंपनी कोल इंडिया के निदेशक बोर्ड की बैठक में इस नीति का विरोध किया गया। कंपनी का कहना है कि इससे उसके मुनाफे पर असर पड़ेगा। कोयला मंत्रालय भी बेमन से ही तैयार हुआ है।

माना जाता है कि कोल पूल प्राइसिंग से देश में बिजली की लागत भी बढ़ेगी। बंदरगाहों से दूरी वाली बिजली परियोजनाओं का खर्चा बढ़ेगा। जाहिर है कि बढ़ी लागतों का बोझ अंतत: ग्राहकों को ही उठाना पड़ेगा। अभी देश में 85 फीसद कोयला घरेलू क्षेत्र से आता है, जबकि 15 प्रतिशत आयातित होता है। आयातित कोयला ज्यादा महंगा है। इन दोनों के दाम मिलाकर कोयले की कीमत तय करने से उन बिजली संयंत्रों को घाटा होगा, जो सिर्फ घरेलू क्षेत्र से कोयला लेते रहे हैं। कोयला कीमत का यह फार्मूला अप्रैल, 2009 के बाद शुरू होने वाले बिजली संयंत्रों पर लागू होगा।

वन मंत्रालय की हरी झंडी

लंब अरसे बाद वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने बिजली परियोजनाओं को तेजी से मंजूरी देना शुरू कर दिया है। पिछले कुछ महीनों के भीतर मंत्रालय ने 2,629 मेगावाट क्षमता की छह पनबिजली परियोजनाओं को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। तलइपल्ली कोयला ब्लॉक को भी आवश्यक अनुमति मिल गई है। इसके साथ ही बिजली परियोजना से जुड़े एक अन्य पकड़ी-बरवाडीह कोयला ब्लॉक में पुनर्वास संबंधी मंजूरी प्रदान कर दी गई है।


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