विनिवेश, लाभांश करेंगे सरकार के राजस्व में होगी कमी की भरपाई
चालू वित्त वर्ष में सरकार ने विनिवेश के जरिए 56500 करोड़ रुपये की राशि जुटाने का लक्ष्य अपने बजट में रखा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली।अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर अपने बजटीय लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सरकार की निर्भरता चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक उपक्रमों पर बढ़ेगी। कारखानों की रफ्तार में फिलहाल सुधार के संकेत नहीं मिलने के चलते प्रत्यक्ष कर राजस्व की रफ्तार इस वर्ष भी धीमी रह सकती है। ऐसी स्थिति में सरकार सार्वजनिक उपक्रमों में विनिवेश और उनसे मिलने वाले लाभांश को अहम मान रही है।
चालू वित्त वर्ष में सरकार ने विनिवेश के जरिए 56500 करोड़ रुपये की राशि जुटाने का लक्ष्य अपने बजट में रखा है। इसमें से 30,000 करोड़ रुपये पीएसयू में सरकार की हिस्सेदारी की बिक्री से आएंगे जबकि 26500 करोड़ रुपये रणनीतिक बिक्री से जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास का कहना है कि इस लक्ष्य को पाने के लिए सरकार के पास एक रोडमैप है जिस पर अमल किया जाएगा।
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वित्त मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि इसी रोडमैप के मुताबिक वित्त वर्ष के बाकी बचे समय में एक एक करके सार्वजनिक उपक्रमों में सरकार की हिस्सेदारी को बेचने का सिलसिला चलेगा। एनएचपीसी में सरकार 11.36 फीसद हिस्सेदारी से 2700 करोड़ रुपये जुटा कर सरकार इसकी शुरुआत भी कर चुकी है।
सूत्रों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में विनिवेश की सूची में करीब 15 पीएसयू को शामिल किया गया है। इनमें कोल इंडिया, एनएमडीसी, एमओआइएल, एमएमटीसी, एनएफएल, नाल्को और भारत इलेक्ट्रानिक्स जैसी कंपनियां प्रमुख हैं। इनमें से कुछ कंपनियों के शेयरों की बिक्री के लिए सरकार ने मर्चेट बैंकर नियुक्त करने की प्रक्रिया भी शुरू की है।
दूसरी तरफ चालू वित्त वर्ष में संसाधन जुटाने की प्रक्रिया में सरकार पीएसयू से मिलने वाले लाभांश को भी काफी अहम मान रही है। वैसे पीएसयू सरकार को उसकी इक्विटी हिस्सेदारी के अनुपात में हर वर्ष कम से कम बीस फीसद लाभांश देते हैं। लेकिन माना जा रहा है कि सरकार इस बार मुनाफा कमाने वाली सभी सरकारी कंपनियों से तीस फीसद लाभांश देने को कहेगी। इसके लिए बाकायदा इन पीएसयू के लिए एक दिशानिर्देश तैयार करने पर भी विचार किया जा रहा है। इसके तहत कंपनियों की पूंजी पुनर्सरचना की योजना भी है।
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सरकार सभी मुनाफा कमाने वाली और भारी नकदी पर बैठे पीएसयू को मुनाफे का 30 फीसद या नेटवर्थ का पांच फीसद, जो अधिक हो, लाभांश के तौर पर देने को कह सकती है। यह नियम सभी 157 मुनाफा कमाने वाले पीएसयू पर लागू होगा।इसके अलावा सरकार उन विकल्पों पर भी विचार कर रही है जिनके तहत सार्वजनिक उपक्रमों को सरकारी हिस्सेदारी के बायबैक के लिए कहा जा सकता है। इसके लिए 2000 करोड़ रुपये की नेटवर्थ और एक हजार करोड़ रुपये के नकद व बैंक बैलेंस वाली कंपनियों को चुना जा सकता है।इससे भी सरकार को अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चालू वित्त वर्ष के लिए बजट में सकल घरेलू उत्पाद के 3.5 फीसद के राजकोषीय घाटे का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसे प्राप्त करने के लिए सरकार को न केवल अपने खर्चो पर अनुशासन रखना होगा बल्कि प्रत्यक्ष कर राजस्व की रफ्तार धीमी रहने पर अतिरिक्त स्त्रोतों से संसाधन भी जुटाने होंगे। इन परिस्थितियों में विनिवेश और सार्वजनिक उपक्रमों से मिलने वाला लाभांश काफी अहम हो जाएगा।
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