एक बार फिर जांच के घेरे में महंगा हवाई किराया
हवाई किरायों में मनमानी बढ़ोतरी की शिकायतों पर विमानन मंत्रालय की चुप्पी के बाद अब प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) इनकी एक बार फिर जांच करेगा। इससे पहले आयोग चार बार इसी तरह की शिकायतों की जांच कर चुका है। जेट एयरवेज, इंडिगो, एयर इंडिया समेत प्रमुख एयरलाइनों ने पिछले दिनों हवाई किरायों में 25 से 30
जागरण ब्यूरो नई दिल्ली। हवाई किरायों में मनमानी बढ़ोतरी की शिकायतों पर विमानन मंत्रालय की चुप्पी के बाद अब प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) इनकी एक बार फिर जांच करेगा। इससे पहले आयोग चार बार इसी तरह की शिकायतों की जांच कर चुका है। जेट एयरवेज, इंडिगो, एयर इंडिया समेत प्रमुख एयरलाइनों ने पिछले दिनों हवाई किरायों में 25 से 30 फीसद तक की बढ़ोतरी कर दी थी। वृद्धि के पीछे एयरलाइनों ने हवाई ईंधन (एटीएफ) की कीमत में तीन माह में तीन बार बढ़ोतरी का तर्क दिया था। मगर हवाई यात्रियों की संस्था एयर पैसेंजर्स एसोसिएशन ने इसे खारिज करते हुए असली कारण आगामी त्योहारी सीजन को बताया है।
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प्रतिस्पर्धा आयोग से की गई शिकायत में कहा गया है कि एयरलाइनें हर साल त्योहारों से पहले गठजोड़ कर किराया बढ़ाती हैं। ऐसा त्योहारों के मौसम में हवाई यात्र की बढ़ी मांग का फायदा उठाने के लिए किया जाता है। किरायों में वृद्धि को लेकर पिछले दिनों विमानन मंत्रालय ने भी एयरलाइन प्रमुखों और राज्यों के परिवहन एवं नागर विमानन मंत्रियों की बैठक बुलाकर चर्चा की थी। इसमें राच्यों से एटीएफ पर वैट की दरों को घटाकर चार प्रतिशत पर लाने का अनुरोध किया गया था।
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कुछ राच्यों ने दरें घटाई भी हैं। लेकिन ज्यादातर राच्यों में अभी भी दरें 12 फीसद से लेकर 30 फीसद तक हैं। एयरलाइनों की लागत में एटीएफ पर खर्च की हिस्सेदारी 40 फीसद तक होती है। वैसे, हवाई किरायों पर नजर रखने की जिम्मेदारी विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) की है। इस बारे में उसने दिशानिर्देश बना रखे हैं।
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इसके तहत एयरलाइनों को अपने किरायों में पारदर्शिता रखना जरूरी है। उन्हें अपनी न्यूनतम और उच्चतम किराया दरों के अलावा सभी तरह के शुल्कों और अधिभारों की जानकारी देनी पड़ती है। लेकिन यह व्यवस्था बहुत कारगर साबित नहीं हुई है। नतीजतन, यह मसला घूम-फिरकर प्रतिस्पर्धा आयोग के सामने पहुंचता है।