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'पुरानी अर्थव्यवस्था में बढ़ेगा पूंजीगत निवेश, भारत जैसे देश को क्रिप्टोकरेंसी से डरने की जरूरत नहीं, रेगुलेट करने की जरूरत'

उन्होंने कहा कि आर्थिक गतिविधियां महामारी-पूर्व के स्तर से भी आगे निकल चुकी हैं और बाकी के वित्त वर्ष में और सुधार होगा। उन्होंने कहा मुझे आशा है कि अगली कुछ तिमाहियों में पूंजीगत निवेश बढ़ने लगेगा और यह पुरानी अर्थव्यवस्था में भी बढ़ेगा।

By NiteshEdited By: Published: Mon, 27 Dec 2021 12:20 PM (IST)Updated: Mon, 27 Dec 2021 12:20 PM (IST)
'पुरानी अर्थव्यवस्था में बढ़ेगा पूंजीगत निवेश, भारत जैसे देश को क्रिप्टोकरेंसी से डरने की जरूरत नहीं, रेगुलेट करने की जरूरत'
'पुरानी अर्थव्यवस्था में बढ़ेगा पूंजीगत निवेश, भारत जैसे देश को क्रिप्टोकरेंसी से डरने की जरूरत नहीं, रेगुलेट करने की जरूरत'

नई दिल्ली, पीटीआइ। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) के सदस्य जयंत आर वर्मा ने रविवार को उम्मीद जताई कि अब से कुछ तिमाहियों के बाद पुरानी अर्थव्यवस्था में भी पूंजीगत निवेश बढ़ेगा और अगले वित्त वर्ष में भी ठीक-ठाक वृद्धि बनी रहेगी। जाने-माने अर्थशास्त्री वर्मा ने एक साक्षात्कार में कहा कि मुद्रास्फीति चिंता का विषय है, लेकिन अभी मुद्रास्फीति के स्तर से कहीं अधिक चिंता की बात इसकी निरंतरता है। क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत जैसे मजबूत और आत्मविश्वास से भरे देश को इससे नहीं डरना चाहिए। वर्मा ने कहा, 'भारतीय अर्थव्यवस्था और इसकी वृद्धि के अनुमानों को लेकर मैं काफी आशावादी हूं। ऐसी उम्मीद है कि अगले वर्ष 2022-23 में भी अच्छी वृद्धि देखने को मिलेगी।'

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उन्होंने कहा कि आर्थिक गतिविधियां महामारी-पूर्व के स्तर से भी आगे निकल चुकी हैं और बाकी के वित्त वर्ष में और सुधार होगा। उन्होंने कहा, 'मुझे आशा है कि अगली कुछ तिमाहियों में पूंजीगत निवेश बढ़ने लगेगा और यह पुरानी अर्थव्यवस्था में भी बढ़ेगा।' कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमिक्रोन से अर्थव्यवस्था के समक्ष मौजूद खतरे के बारे में उन्होंने कहा, 'वायरस के कुछ और स्वरूप भी सामने आ सकते हैं लेकिन टीकाकरण का दायरा बढ़ने के साथ आर्थिक वृद्धि के लिए जोखिम भी कम हो जाएगा।'

वर्मा ने कहा कि चिंता की बात यह है कि मुद्रास्फीति कम होकर चार प्रतिशत के लक्ष्य तक नहीं आ रही है बल्कि इसके काफी लंबे समय तक पांच प्रतिशत तक बने रहने का खतरा भी है। बता दें कि रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के विकास अनुमान को पहले के 10.5 प्रतिशत से घटाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया है। जबकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 2021 में 9.5 प्रतिशत और अगले वर्ष 8.5 प्रतिशत आर्थिक विकास का अनुमान लगाया है।

वर्मा ने कहा, 'रेगुलेटेड क्रिप्टोकरेंसी नियामकीय ढांचे वाले देश के किसी तरह का खतरा पैदा नहीं कर सकते हैं। इसलिए इसको प्रतिबंधित करने का कोई मतलब नहीं बनता है। क्रिप्टोकरेंसी भी एक तरह का वित्तीय उत्पाद है और उपभोक्ताओं को इससे होने वाले खतरों से बचाने के लिए फ्रेमवर्क होना चाहिए।' वर्मा के अनुसार दुनियाभर के नियामकों ने इन जोखिमों से निपटने के लिए तंत्र विकसित किया है और भारत को भी इस रास्ते पर आगे बढ़ना चाहिए।


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