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खाद्य तेलों, आयल पॉम पर मंत्रिमंडल का फैसला ‘गेम चेंजर’ साबित होगा: प्रधानमंत्री

योजना के तहत वर्ष 2025 तक पाम आयल का रकबा 6.5 लाख हेक्टेयर तक बढ़ा दिया जाएगा। अन्य तिलहनों की तुलना में इसमें खाद्य तेलों का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 10 से 46 गुना अधिक होता है। इससे पूर्वोत्तर भारत अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह को विशेष तौर पर फायदा होगा।’’

By NiteshEdited By: Published: Thu, 19 Aug 2021 07:56 AM (IST)Updated: Thu, 19 Aug 2021 07:56 AM (IST)
खाद्य तेलों, आयल पॉम पर मंत्रिमंडल का फैसला ‘गेम चेंजर’ साबित होगा: प्रधानमंत्री
Cabinet decision on edible oils oil palm will prove to be a game changer says PM modi

नई दिल्ली, पीटीआइ। राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-आयल पॉम को केंद्रीय मंत्रिमंडल से मिली मंजूरी मिलना आयल-पॉम किसानों और एक आत्मनिर्भर भारत के लिए ‘‘गेम चेंजर’’ साबित होगी। ये बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कही। बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 11,040 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-आयल पॉम को मंजूरी दी। इससे खाद्य तेलों के आयात पर देश की निर्भरता कम होगी। इससे अगले पांच साल के दौरान देश में पॉम की खेती को प्रोत्साहित किया जायेगा।

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दरअसल, प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट किया जिसमें लिखा कि, ‘‘केंद्रीय मंत्रिमंडल का राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-आयल पॉम पर आज का फैसला आयल-पॉम किसानों को मदद करने और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में एक ‘गेम चेंजर’ साबित होगा। इससे पूर्वोत्तर भारत, अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह को विशेष तौर पर फायदा होगा।’’

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केंद्रीय मंत्रिमंडल से सार्वजनिक क्षेत्र के पूर्वोत्तर क्षेत्र कृषि विपणन निगम लि. (एनईआरएएमएसी) के पुनरोद्धार के लिए 77.45 करोड़ रुपये के पैकेज की मंजूरी मिली। इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे क्षेत्र के किसानों को मदद मिलेगी और पूर्वोत्तर के उत्पादों को देश भर में लोकप्रिय बनाएगा।

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कैबिनेट फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि इससे खाद्य तेलों पर आयात निर्भरता घटेगी साथ ही किसानों की आमदनी को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि देश के 12 तटीय राज्यों में पाम आयल उत्पादन की संभावनाएं हैं। पुराने बागों में दोबारा खेती के लिए 250 रुपये प्रति पौधा के हिसाब से विशेष सहायता दी जा रही है। योजना के तहत वर्ष 2025 तक पाम आयल का रकबा 6.5 लाख हेक्टेयर तक बढ़ा दिया जाएगा। अन्य तिलहनों की तुलना में इसमें खाद्य तेलों का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 10 से 46 गुना अधिक होता है।


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