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Budget Expectations: Income Tax में कटौती के अलावा इन मोर्चों पर भी मिडिल क्लास को मिल सकती है राहत, जानें विवरण

Budget 2020 टर्म इंश्योरेंस प्लान में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार व्यक्तिगत आयकर की छूट में वृद्धि कर सकती है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Sun, 26 Jan 2020 04:31 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jan 2020 08:53 AM (IST)
Budget Expectations: Income Tax में कटौती के अलावा इन मोर्चों पर भी मिडिल क्लास को मिल सकती है राहत, जानें विवरण
Budget Expectations: Income Tax में कटौती के अलावा इन मोर्चों पर भी मिडिल क्लास को मिल सकती है राहत, जानें विवरण

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पिछले वर्ष मिली कॉरपोरेट टैक्स में छूट के बाद अब सबकी निगाहें आगामी आम बजट में Individual Income Tax में मिलने वाली संभावित छूट पर है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण खजाने की हालत को देखते हुए इस दिशा में कितना कदम बढ़ा पाती हैं, यह तो बजट आने पर ही स्पष्ट होगा। लेकिन जानकार मानते हैं कि ऐसा नहीं होने की स्थिति में सरकार अन्य उपलब्ध विकल्पों के जरिये व्यक्तिगत आयकर में राहत दे सकती है। माना जा रहा है कि बीमा क्षेत्र में निवेश पर मिलने वाली आयकर छूट एक बड़ा विकल्प हो सकती है। खासतौर पर चुनिंदा बीमा प्लान पर इस आशय का कदम उठाया जा सकता है। 

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Term Insurance में निवेश को बढ़ावा

टर्म इंश्योरेंस प्लान में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार व्यक्तिगत आयकर की छूट में वृद्धि कर सकती है। एगॉन लाइफ इंश्योरेंस के एमडी व सीईओ विनीत अरोड़ा मानते हैं कि ये प्लान न केवल सस्ते, बल्कि ग्राहकों के लिए बेहद उपयोगी भी हैं। सरकार को ऐसे प्लान में निवेश करने पर 25,000 रुपये की अतिरिक्त छूट का प्रावधान करना चाहिए। लोगों में बीमा के प्रति रुझान बढ़ाने के लिए बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) भी लगातार टर्म बीमा प्लान को प्रोत्साहित कर रहा है। अभी बीमा में डेढ़ लाख रुपये तक के निवेश पर आयकर अधिनियम की धारा 80-सी के तहत व्यक्तिगत आयकर पर छूट का प्रावधान है। 

रिटायरमेंट बेनिफिट को टैक्स फ्री बनाने का ऑप्शन

सरकार के पास एक विकल्प सभी तरह के रिटायरमेंट बेनिफिट को भी टैक्स फ्री बनाने का है। इसी तरह कॉरपोरेट टैक्स में हुई कटौती के दायरे से बाहर रह गए सभी छोटे उद्यमियों को सरकार व्यक्तिगत आयकर में कुछ राहत दे सकती है। यह राहत उनकी तरफ से किए गए निवेश पर भी आधारित हो सकती है। ब्रिकवर्क रेटिंग के मुताबिक सरकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती अर्थव्यवस्था में मांग सृजित करने की है। लेकिन ऐसा करने में उसके सामने राजकोषीय संतुलन की चुनौती भी है। इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि फिलहाल मांग सृजित करने का फोकस केवल उन्हीं क्षेत्रों पर हो जहां इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है। एजेंसी के मुताबिक इनमें इन्फ्रास्ट्रक्चर, ऑटोमोबाइल, पावर, टेलीकॉम, स्टील और रियल एस्टेट प्रमुख हैं। अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने और रोजगार सृजन में इन सभी क्षेत्रों की अहम भूमिका रहती है।


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