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Budget 2020: बैंकों में जमा राशि पर बीमा कवर बढ़ाने का यह पड़ेगा प्रभाव

Budget 2020 डिपोजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन की रिपोर्ट के मुताबिक उसके पास मार्च 2019 तक 87995 करोड़ रुपये का सरप्लस फंड था।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Tue, 04 Feb 2020 10:47 AM (IST)Updated: Tue, 04 Feb 2020 10:47 AM (IST)
Budget 2020: बैंकों में जमा राशि पर बीमा कवर बढ़ाने का यह पड़ेगा प्रभाव
Budget 2020: बैंकों में जमा राशि पर बीमा कवर बढ़ाने का यह पड़ेगा प्रभाव

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। सरकार ने शनिवार को पेश केंद्रीय बजट में बैंकों में जमा राशि पर बीमा कवर मौजूदा एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने का प्रस्ताव रखा है। माना जा रहा है कि सरकार का यह कदम बैंकिग प्रणाली के प्रति लोगों के विश्वास को मजबूत करेगा और इससे बैंक जमाओं में वृद्धि हो सकती है। आइए जानते हैं कि बैंकों में जमा राशि पर बीमा कवर बढ़ाने के पीछे कौनसा निर्णय है।

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सितंबर, 2019 में भारतीय रिजर्व बैंक(RBI) ने अचानक पंजाब एंड महाराष्ट्र कॉपरेटिव बैंक (PMC BANK) को अपने नियंत्रण में ले लिया है। पीएमसी प्रमुख कॉपरेटिव बैंक है, जिसमें 11 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि जमा थी। आरबीआइ ने बैंक के लिए प्रबंधक की नियुक्ति की और इसके निदेशक मंडल को अलग कर दिया गया। यह बैंक के हजारों जमाकर्ताओं के लिए बहुत बड़ा झटका था। इसके बाद परेशान उपभोक्ता बैंक की शाखाओं में अपनी रकम निकालने के लिए पहुंचने लगे, लेकिन एक हजार रुपये से ज्यादा निकालने की अनुमति नहीं दी गई। इसके चलते व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए।

डीआइसीजीसी की भूमिका

आरबीआइ की सहयोगी डिपोजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) ने बैंक में एक लाख रुपये का बीमा कवर बैंकों में जमा कराया। अगले वित्त वर्ष के लिए बीते शनिवार को पेश बजट के मुताबिक बैंक अब डीआइसीजीसी के माध्यम से प्रति उपभोक्ता जमा पर पांच लाख रुपये भुगतान तक की गारंटी लेंगे। कॉरपोरेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, उसके पास मार्च, 2019 तक 87,995 करोड़ रुपये का सरप्लस फंड था। रिपोर्ट के अनुसार 2018-19 में 152 करोड़ का दावा किया गया और उससे पिछले वर्ष में 183 करोड़ रुपये का।

जमाकर्ता को ये मिलेगा

यदि बैंक डूब जाता है तो कॉरपोरेशन से जमाकर्ता को पांच लाख रुपये प्राप्त होंगे। यद्यपि जमाकर्ता के खाते में पांच लाख रुपये से ज्यादा राशि जमा है तो बैंक के डूबने पर इसका कोई कानूनी उपचार नहीं है। एक बार संसद द्वारा बजट के पारित हो जाने के बाद चाहे जमा राशि 25 लाख रुपये हो या फिर पांच करोड़, बैंक के डूबने पर जमाकर्ता को केवल पांच लाख रुपये ही मिलेंगे।

बैंकों पर होगा असर

बीमाकृत जमाओं के आकार में वृद्धि होने की संभावना है। बैंकों द्वारा भुगतान बीमा प्रीमियम राशि बैंकों के परिचालन खर्च को बढ़ाएगी और उनके लाभ के लिए नकारात्मक होगी। 31 मार्च, 2019 तक जमा राशि का 28 फीसद (मूल्य के संदर्भ में) और जमाकर्ताओं का 92 फीसद (खातों की संख्या के संदर्भ में) जमा बीमा द्वारा कवर किया गया था, जो बढ़कर 40-50 फीसद होने की संभावना है।


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