काम करने की आजादी मांग रहा है इंडिया इंक, वित्त मंत्री सीतारमण ने की चुनिंदा उद्योगपतियों के साथ मुलाकात
हालांकि उन्होंने सरकार की तरफ से जो तवज्जो मिली है उससे काफी संतुष्ट दिखे। एसोचैम के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और रीयल एस्टेट क्षेत्र के निरंजन हीरानंदानी
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश ने 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' रैकिंग में भले ही काफी सुधार कर लिया हो लेकिन अपने देश के उद्योगपतियों की सबसे बड़ी मांग यही है कि घरेलू स्तर पर कारोबार के माहौल में सुधार की सबसे ज्यादा जरुरत है। इतना ही नहीं उद्योग जगत का मानना है कि सरकार को नीतिगत स्थिरता पर भी ध्यान देना होगा। गुरुवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश के कुछ नामी गिरामी उद्यमियों के साथ बजट पूर्व बैठक की थी जिसमें अलग अलग स्तर पर इन बातों को रखा गया। देश के दो बड़े उद्योग चैंबरों सीआइआइ और एसोचैम के अध्यक्षों ने परोक्ष तौर पर उद्योग जगत को बेहतर प्रदर्शन करने के लिए ज्यादा आजादी की मांग पेश की।
उद्योगपतियों ने कहा कि टैक्स से लेकर पॉलिसी तक में यदि सुनिश्चितता बनी रहे तो कारोबारियों को लंबी अवधि की अपनी रणनीति बनाने में आसानी होगी। उद्योग जगत उम्मीद कर रहा है कि आगामी बजट में वित्त मंत्री इन बातों पर ध्यान देंगी।सीआइआइ के अध्यक्ष विक्रम किर्लोस्कर ने अपने प्रजेंटेशन में आटोमोबाइल, खनन, रिटेल और ऊर्जा क्षेत्र का उदाहरण दिया है जहां नीतियों में स्थिरता नहीं रही और इसकी वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। आटोमोबाइल सेक्टर में कारपोरेट एवरेज फ्यूल इफिसिएंशी (केफ-1) का उदाहरण दिया जिसे फरवरी, 2017 में लागू किया। जबकि दूसरे देशों में कंपनियों में इसके लिए कम से कम सात वर्षो का समय दिया गया था।
खुदरा कारोबार में सोर्सिग के नियमों में लगातार बदलाव किये गये और इसी तरह से रिनीवल ऊर्जा कंपनियों के लिए नियम बदले जा रहे हैं। नियमों में इस तरह की अस्थिरता से निवेशकों का भरोसा नहीं बन पाता। सीआइआइ ने कारोबार के स्तर पर पैदा हो रही कई तरह की कानूनी दिक्कतों की तरफ भी सरकार का ध्यान आकर्षित किया है और कहा है कि उद्योग जगत से जुड़े कानूनी मसलों पर त्वरित फैसले की व्यवस्था करना मौजूदा अर्थव्यवस्था के लिए बहुत जरुरी है। जाहिर है कि बड़े उद्योग कारपोरेट टैक्स की रेट में की गई कटौती से आगे भी बहुत कुछ चाहते हैंदो वर्ष पहले तक देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी भारती टेलीकॉम के मुखिया सुनील भारती मित्तल ने बिना किसी लाग लपेट के कहा कि, ''मैं सिर्फ एक ही मांग लेकर इस बैठक में शामिल हुआ और वह है भारत में कारोबार करने को आसान बनाना।
उद्योग जगत को काम करने की ज्यादा आजादी मिलनी चाहिए ताकि वह अपना बेहतरीन प्रदर्शन कर सके। वित्त मंत्री और उनके सहयोगियों ने हमारी बात बहुत मन से सुनी है और मुझे उम्मीद है कि आगामी बजट में हमें बहुत कुछ देखने को मिलेगा।'' मित्तल ने दूरसंचार क्षेत्र की स्थिति पर वित्त मंत्रालय को पूरी जानकारी दी। एसोचैम के अध्यक्ष बालकृष्ण गोयनका ने भी कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को लेकर बहुत काम हुआ है लेकिन अंतिम स्तर पर राज्यों की तरफ से कुछ कदम उठाने की जरुरत है। गोयनका समूह के संजीव गोयनका ने भी बताया कि कारोबार करने के माहौल में सुधार करने से बड़ा मुद्दा अभी कोई नहीं है। हालांकि उन्होंने सरकार की तरफ से जो तवज्जो मिली है उससे काफी संतुष्ट दिखे। एसोचैम के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और रीयल एस्टेट क्षेत्र के निरंजन हीरानंदानी ने अपने सेक्टर की तीन बड़ी समस्याएं गिनाई, फंड कमी कमी, जीएसटी और कराधान। उन्होंने वित्त मंत्री से आग्रह किया है कि आगामी बजट इनमें से दो बड़ी समस्याओं का समाधान निकाल सकता है।