फोर्ब्स के दानवीरों में चार भारतीय कारोबारी
सिंगापुर। इंडिया इंक के चार दिग्गज कारोबारियों को फोर्ब्स ने इस साल के दानवीरों की सूची में शामिल किया है। इनमें बायोकॉन लिमिटेड की चेयरमैन किरण मजूमदार शॉ सहित पीएनसी मेनन, विनीत नायर और रोनी स्क्रूवाला शामिल हैं। इन्होंने अपनी संपत्ति का 75 फीसद तक हिस्सा परोपकारी कार्यो के लिए दान में देने की घोषणा की है। मशहूर अमेरि
सिंगापुर। इंडिया इंक के चार दिग्गज कारोबारियों को फोर्ब्स ने इस साल के दानवीरों की सूची में शामिल किया है। इनमें बायोकॉन लिमिटेड की चेयरमैन किरण मजूमदार शॉ सहित पीएनसी मेनन, विनीत नायर और रोनी स्क्रूवाला शामिल हैं। इन्होंने अपनी संपत्ति का 75 फीसद तक हिस्सा परोपकारी कार्यो के लिए दान में देने की घोषणा की है।
मशहूर अमेरिकी पत्रिका फोर्ब्स की एशियाई इकाई फोर्ब्स एशिया मैगजीन ने एशिया पेसिफिक क्षेत्र के 48 दानवीरों की सूची जारी की है। इनमें भारत के अलावा चीन, सिंगापुर, हांगकांग और इंडोनेशिया के कारोबारियों को शुमार किया गया है। फोर्ब्स के मुताबिक किरण मजूमदार शॉ ने कैंसर की रोकथाम के लिए अपनी संपत्ति का 75 फीसद हिस्सा दान में देने की घोषणा की है। वहीं, रीयल्टी कंपनी शोभा डेवलपर्स के चेयरमैन पीएनसी मेनन ने संपत्ति का करीब आधा हिस्सा [करीब 2400 करोड़ रुपये] अपने पारिवारिक चैरिटेबल संस्था श्री कुरुम्बा ट्रस्ट को देने की योजना बनाई है। इस ट्रस्ट ने वर्ष 2006 में केरल के चार गांवों को गोद लिया था। इसके तहत ट्रस्ट पांच हजार रुपये से कम आय वाले ग्रामीणों की मदद करता है।
आइटी कंपनी एचसीएल टेक्नोलॉजीज के वाइस चेयरमैन विनीत नायर ने पिछले साल करीब 134 करोड़ रुपये [2.4 करोड़ डॉलर] दान दिया था। यह दान उन्होंने अपनी चैरिटेबल संस्था संपर्क को दिया है जिसे उनकी पत्नी अनुपमा चलाती हैं। यह संस्था राज्य सरकारों के सहयोग स्कूलों में सुधार, जलापूर्ति और अन्य सामाजिक कार्यो के लिए फंड उपलब्ध कराती है। वहीं, फिल्म व मनोरंजन क्षेत्र के दिग्गज और यूटीवी समूह के सह संस्थापक रोनी स्क्रूवाला अगले पांच साल में करीब एक हजार करोड़ रुपये [18 करोड़ डॉलर] परोपकारी कामों पर खर्च करेंगे। इसके तहत महाराष्ट्र के 10 लाख ग्रामीणों के जीवन स्तर को सुधारने का काम किया जाएगा।
फोर्ब्स एशिया के सीनियर एडीटर जॉन कोप्पिस्क ने बताया कि सूची में ऐसे लोगों को शामिल किया गया है जो जानेमाने हैं और वे किसी अच्छे काम के लिए दान दे रहे हैं। साथ ही यह कोशिश भी की गई है कि हर साल सूची में नए और वास्तविक दानवीरों को ही शामिल किया जाए। जो लोग अपनी कंपनी के बजाय निजी संपत्ति दान में दे रहे हैं उन्हें ही इसमें जगह दी गई है।