Move to Jagran APP

बैंक अब पर्सनल गारंटर की परिसंपत्तियां बेचकर कर सकेंगे कर्ज की वसूली, गारंटी देने वालों पर भी कर्ज की अदायगी की जिम्मेदारी

बैंक अब कारपोरेट गारंटी देने वाले लोगों की परिसंपत्तियों को बेचकर कर्ज की वसूली कर सकेंगे। इस बारे में केंद्र सरकार ने नवंबर 2019 में अधिसूचना जारी की थी जिसके खिलाफ कई बड़े उद्योगपतियों ने कोर्ट में याचिका दायर की थी।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Sat, 22 May 2021 09:23 AM (IST)Updated: Mon, 24 May 2021 07:42 AM (IST)
बैंक अब पर्सनल गारंटर की परिसंपत्तियां बेचकर कर सकेंगे कर्ज की वसूली, गारंटी देने वालों पर भी कर्ज की अदायगी की जिम्मेदारी
Loan Personal Guarantor P C : Pixabay

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। दिवालिया कानून की प्रक्रिया से बचने की जुगत कर रहे कुछ कारपोरेट घरानों के नामी-गिरामी प्रवर्तकों को सुप्रीम कोर्ट ने करारा झटका दिया है। इंसाल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (IBC) से जुड़े एक मामले में शीर्ष कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए दिवालिया प्रक्रिया में शामिल कंपनियों को कर्ज दिलाने में पर्सनल गारंटी देने वाले प्रवर्तकों से भी वसूली की छूट बैंकों को दे दी।

loksabha election banner

बैंक अब कारपोरेट गारंटी देने वाले लोगों की परिसंपत्तियों को बेचकर कर्ज की वसूली कर सकेंगे। इस बारे में केंद्र सरकार ने नवंबर, 2019 में अधिसूचना जारी की थी, जिसके खिलाफ कई बड़े उद्योगपतियों ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। इनमें अनिल अंबानी, कपिल वधावन, संजय सिंघल, वेणुगोपाल धूत जैसे लोग शामिल हैं। इन सभी की तरफ से प्रमोटेड कंपनियों के खिलाफ आइबीसी के तहत कार्रवाई हो रही है।

दिवालिया कानून के जानकार सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को आइबीसी लागू करने के संदर्भ में एक बड़ी जीत के तौर पर देख रहे हैं। देश में कोरोना की वजह से जब बैंकिग सेक्टर में फंसे कर्जों के मामले और बढ़ने के आसार हैं, तब यह फैसला ज्यादा प्रासंगिक हो गया है।

दिवालिया प्रक्रिया के कई मामलों में दिवालिया होने वाली कंपनी के प्रवर्तकों ने बैंक लोन के लिए अपनी पर्सनल गारंटी दी है। अब इन सभी से वसूली की प्रक्रिया बैंक शुरू कर सकते हैं। वसूली नहीं होने की स्थिति में उन्हें व्यक्तिगत रूप से दिवालिया घोषित किया जाएगा। अदालत ने गारंटर पर भी कंपनी की तरह ही नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल (NCLT) में दिवालिया प्रक्रिया चलाने की अनुमति दी है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस एस. रवींद्र भट्ट की पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि सिर्फ रिजोल्यूशन प्लान स्वीकृत होने का यह मतलब कदापि नहीं है कि कंपनियों को कर्ज दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले पर्सनल गारंटर का कोई उत्तरदायित्व नहीं है। लोन की गारंटी देने वाले को कांट्रेक्ट आफ गारंटी के दायित्व से अलग नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने इस बारे में केंद्र सरकार की तरफ से जारी अधिसूचना को वैध करार दिया है। केंद्र सरकार की अधिसूचना के खिलाफ तकरीबन 75 लोगों ने याचिका दायर की थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.