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बैंकों के पास पूंजी की नहीं है कोई कमी, बेहिचक कर्ज लें उद्योग: SBI

निवेश बढ़ाए बगैर देश की अर्थव्यवस्था को पांच लाख करोड़ डॉलर का आकार देना संभव नहीं है। वर्तमान में बैंकों का कुल कर्ज 96 लाख करोड़ रुपये है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Mon, 23 Dec 2019 09:33 AM (IST)Updated: Mon, 23 Dec 2019 02:45 PM (IST)
बैंकों के पास पूंजी की नहीं है कोई कमी, बेहिचक कर्ज लें उद्योग: SBI
बैंकों के पास पूंजी की नहीं है कोई कमी, बेहिचक कर्ज लें उद्योग: SBI

नई दिल्ली, पीटीआइ। देश के सबसे बड़े कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक ने उद्योगपतियों से आह्वान किया है कि वे इकोनॉमी में निवेश बढ़ाने के लिए अपनी कर्ज क्षमता को मजबूत करें। बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने फिक्की के कार्यक्रम में कहा कि बैंकों के पास पूंजी की कोई कमी नहीं है और चालू वित्त वर्ष के अंत तक उनके फंसे कर्ज (एनपीए) में उल्लेखनीय कमी आने वाली है। ऐसे में वे उद्योगों को और कर्ज देने की हालत में होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि एसबीआइ कर्ज देने की अपनी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर पा रहा है क्योंकि उद्योग जगत से कर्ज की मांग ही नहीं हो रही है।

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कुमार ने कहा, ‘निवेश बढ़ाए बगैर देश की अर्थव्यवस्था को पांच लाख करोड़ डॉलर का आकार देना संभव नहीं है। वर्तमान में बैंकों का कुल कर्ज 96 लाख करोड़ रुपये है। इकोनॉमी को पांच लाख करोड़ डॉलर का आकार देने के लिए इस कर्ज को कम से कम दोगुना तक पहुंचाना होगा।’ उन्होंने कहा कि ऐसे प्रोजेक्ट दिखाई नहीं दे रहे हैं जहां से निवेश की मांग आ रही हो। जो थोड़े प्रोजेक्ट्स हैं, वे सोलर एनर्जी, सिटी गैस और कुछ हद तक सड़क परियोजनाओं से जुड़े हैं। एसबीआइ प्रोजेक्ट्स को वित्तीय मदद देने वाला सबसे बड़ा बैंक है। लेकिन क्षमता का पूरा उपयोग ही नहीं हो पा रहा है।

कुमार का कहना था कि पिछले वर्ष सही मायने में बड़ा प्रोजेक्ट माने जा सकने वाले केवल दो को बैंकों ने वित्तीय मदद दी। इनमें एक राजस्थान में एचपीसीएल की परियोजना थी जिसका आकार करीब 50,000 करोड़ रुपये था। दूसरी परियोजना मुंबई नागपुर सुपर कम्यूनिकेशन एक्सप्रेसवे थी और उसका आकार भी करीब इतना ही बड़ा था।

सीमा से ज्यादा दरें घटा नहीं सकते

एसबीआइ के चेयरमैन रजनीश कुमार का कहना है कि भारत में वित्तीय सामाजिक सुरक्षा चक्र कमजोर है। इसलिए बैंक कंपनियों को एक सीमा से ज्यादा सस्ता कर्ज मुहैया नहीं करा सकते, क्योंकि उनकी डिफॉल्ट दर बेहद ऊंची है। कुमार ने कहा, ‘देश का बैंकिंग सिस्टम एक हद तक जमाकर्ताओं पर निर्भर है। अगर हम सस्ता कर्ज देते हैं, तो जमाकर्ताओं को कम ब्याज देंगे। लेकिन जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा वरिष्ठ नागरिकों का है, जिनकी कमाई का बड़ा हिस्सा बैंक जमाओं पर ब्याज से ही आता है।


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