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सरकार के प्रयासों के बावजूद NBFC पर नहीं बन रहा बैंकों का भरोसा, कर्ज देने में बैंक कर रहे आनाकानी

कोरोना काल में तमाम चुनौतियों के बावजूद केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने देश की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को उबारने की जो कोशिश की है उसका असर नहीं दिखा है। आरबीआइ के हस्तक्षेप के बावजूद बैंक इन एनबीएफसी पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Sun, 10 Jan 2021 02:43 PM (IST)Updated: Mon, 11 Jan 2021 07:35 AM (IST)
सरकार के प्रयासों के बावजूद NBFC पर नहीं बन रहा बैंकों का भरोसा, कर्ज देने में बैंक कर रहे आनाकानी
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) P C : Pixabay

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना काल में तमाम चुनौतियों के बावजूद केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने देश की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को उबारने की जो कोशिश की है, उसका असर नहीं दिखा है। आरबीआइ के हस्तक्षेप के बावजूद बैंक इन एनबीएफसी पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं।

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दरअसल, वित्त वर्ष 2018-2019 में देश की सबसे बड़ी एनबीएफसी में से एक आइएलएंडएफएस में आए वित्तीय संकट के बाद से ही बैंक इस सेक्टर को कर्ज देने में आनाकानी कर रहे हैं। उसके बाद कुछ ही महीनों के भीतर डीएचएफएल और रिलायंस फाइनेंस जैसी स्थापित एनबीएफसी में वित्तीय संकट पैदा होने के बाद बैंकों ने बाकी एनबीएफसी को भी फंड मुहैया कराने से हाथ खींचने शुरू कर दिए हैं।

बैंकों की यह कशमकश अभी तक खत्म नहीं हो पाई है। वर्ष 2019 के मुकाबले वर्ष 2020 में एनबीएफसी की तरफ से वितरित कर्ज की रफ्तार 17.8 से घटकर 1.9 फीसद रह गई है। जबकि इस दौरान बैंकों की तरफ से वितरित कर्ज की रफ्तार 13.4 से घटकर 6.1 फीसद पर आई है।

पिछले दिनों वित्तीय संस्थानों के साथ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की बजट पूर्व बैठक में एनबीएफसी के प्रतिनिधियों ने यह समस्या सामने रखी। उन्होंने कहा कि देश के बड़े हिस्से को कर्ज मुहैया कराने की कोई भी कोशिश एनबीएफसी की पूरी सक्रिय भागीदारी के बगैर सफल नहीं होगी।

बैठक में वर्ष 2018 का उदाहरण भी दिया गया कि जब दूसरे बैंकों की तरफ से कर्ज बांटने की रफ्तार 10.2 फीसद थी और एनबीएफसी ने 32.8 फीसद ज्यादा कर्ज दिया था। वित्त मंत्रालय को यह भी बताया गया है कि अगर एनबीएफसी में पूंजी कर प्रवाह सुचारू नहीं हुआ तो अगले कुछ महीनों में सेक्टर की बहुत सी छोटी कंपनियों को बंद करने की नौबत आ जाएगी।

फिच रेटिंग एजेंसी ने भी हाल की एक रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना प्रभाव से भारतीय इकोनॉमी तेजी से उबर रही है। लेकिन एनबीएफसी एक ऐसा वर्ग है जिसकी स्थिति सुधरने की गुंजाइश नहीं दिखती है। एमएसएमई व कंस्ट्रक्शन जैसे प्रमुख क्षेत्रों को कर्ज देने वाली एनबीएफसी के लिए तो स्थिति ज्यादा कठिन दिखाई देती है।

हालांकि. पर्सनल लोन या घरेलू सामान की खरीद के लिए कर्ज देने वाली एनबीएफसी की स्थिति में सुधार होगा। होम लोन व गोल्ड लोन देने वाली एनबीएफसी की स्थिति भी मांग में सुधार की वजह से बेहतर होगी। सरकार की तरफ से कर्ज की दरों को कम करने के तमाम उपायों का असर इस सेक्टर के एनबीएफसी पर होगा।


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